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जल संरक्षण में मप्र चौथे स्थान पर, खंडवा बना का टॉप जिला

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में जल गंगा संवर्धन अभियान मध्यप्रदेश में जल संरक्षण के संकल्प के लिये जन-सहभागिता जुटाने में एक ऐतिहासिक पहल सिद्ध हुआ है। यह अभियान 30 मार्च से 30 जून, 2025 तक संचालित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य नदियों, जल स्रोतों और वेटलैंड्स का संरक्षण तथा पुनर्जीवन सुनिश्चित करना है।

मध्यप्रदेश राज्य रोजगार गारंटी परिषद द्वारा जारी नवीनतम राज्य स्तरीय प्रदर्शन डैशबोर्ड के आकलन के अनुसार खंडवा मध्यप्रदेश में पहले स्थान पर है। इससे पूर्व केन्द्रीय एजेंसी ने जल संरक्षण कार्यों के लिए खंडवा को देश का शीर्ष जिला घोषित किया है। इस सूची में मध्यप्रदेश को चौथे स्थान मिला है।

खेत-तालाब निर्माण का लक्ष्य 77,940 तय किया गया था, लेकिन प्रदेश में 79,815 खेत-तालाबों का निर्माण हो रहा है, जो शत प्रतिशत से भी अधिक है। अभियान की अवधि में प्रतिदिन औसतन 1,078 खेत-तालाबों के निर्माण का प्रारंभ किया जा रहा है। डगवेल रिचार्ज संरचनाओं के लिये 1,03,900 के लक्ष्य में से 1,00,321 संरचनाओं का निर्माण जारी है, जो लक्ष्य का 96.56% है। प्रदेश में प्रतिदिन औसतन 1,355 डगवेल निर्माण शुरू किया जा रहा है।

अमृत सरोवर लक्ष्य 992 के मुकाबले 1,254 निर्मित किये जा रहे हैं। मायभारत पोर्टल पर जलदूत पंजीयन का लक्ष्य 1,62,400 तय किया गया था, जबकि 2,30,749 स्वयंसेवकों का पंजीकरण किया जा चुका है जो लक्ष्य काफी अधिक है।

राज्य सरकार ने पाँच प्रमुख क्षेत्रों — पुराने एनआरएम कार्य, खेत-तालाब, डगवेल, अमृत सरोवर और मायभारत पंजीयन — पर आधारित 100 अंकों की रैंकिंग प्रणाली लागू की है। इस आधार पर खंडवा जिला 71.09 अंकों के साथ शीर्ष पर रहा। खेत-तालाब निर्माण, डगवेल रिचार्ज और अमृत सरोवर की शुरुआत में खंडवा का प्रदर्शन सर्वोत्तम रहा। रायसेन (60.85 अंक), बालाघाट (59.52 अंक) और बुरहानपुर (55.85 अंक) क्रमशः दूसरे, तीसरे व चौथे स्थान पर रहे। प्रदेश के अधिकांश जिलों ने अमृत सरोवर और मायभारत श्रेणियों में पूर्ण अंक प्राप्त किए, हैं।

 

 

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