भोपाल। श्रावण माह के प्रथम सोमवार पर भगवान श्री महाकालेश्वर मनमहेश स्वरूप में उज्जैन नगर भ्रमण पर निकले। बाबा महाकाल की सवारी चांदी की नई पालकी में निकली। 10 साल बाद सवारी में नई पालकी को शामिल किया गया है। सवारी के निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर के सभामंडप में भगवान श्री महाकालेश्वर का षोड़षोपचार पूजन-अर्चन और आरती की गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय दल भगवान श्री महाकालेश्वर की प्रथम सवारी में पालकी के आगे मनमोहक प्रस्तुति देते हुए शामिल हुए। बाबा महाकाल की सवारी के दौरान साधु संत भक्ति में नजर आए। इनके निराले अंदाज से लोगों को सिंहस्थ की याद ताजा हो गई।
श्री महाकालेश्वर भगवान की सावन-भादो मास की प्रथम सवारी में वैदिक उदघोष के साथ श्री महाकालेश्वर भगवान का स्वागत किया गया। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, पंचायत एवं ग्रामीण विकास और श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल, राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा और उज्जैन के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल ने भगवान महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन किया और आरती की। इस अवसर पर विधायक सतीश मालवीय, महेश परमार, जीतेंद्र पंड्या, नगर निगम सभापति श्रीमती कलावती यादव, संभागायुक्त संजय गुप्ता सहित अन्य अधिकारियों ने सभामंडप में भगवान श्री मनमहेश का पूजन किया।
अवंतिकानाथ भगवान श्री मनमहेश के स्वरूप में पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा का हाल जानने और भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकले। पालकी जैसे ही श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों ने पालकी में विराजित भगवान श्री मनमहेश को सलामी (गार्ड आॅफ आॅनर) दी। सवारी मार्ग के दोनों ओर हजारों की संख्या में दर्शनार्थियों ने पालकी में विराजित श्री मनमहेश भगवान के भक्तिभाव से दर्शन लाभ लिये। गार्ड आॅफ आॅनर के बाद सवारी श्री महाकालेश्वर मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होते हुए रामघाट पहुंची। भगवान श्री महाकालेश्वर श्री मनमहेश के स्वरुप में अपने भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए मां क्षिप्रा के तट पर पहुंचे। रामघाट पर भगवान श्री महाकालेश्वर का पूजन-अर्चन और जलाभिषेक पुजारी श्री आशीष गुरु ने संपन्न कराया।
रामघाट पर भगवान श्री मनमहेश के पूजन उपरांत सवारी रामघाट से पुन: रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती समाज मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होती हुई श्री महाकालेश्वर मन्दिर वापस पहुंची। सवारी के आगे-आगे घुड़सवार, पुलिस बल, विभिन्न भजन मण्डलियां, जनजातीय नृत्य दल आदि भगवान भोलेनाथ के गुणगान एवं भजन-कीर्तन करते हुए साथ चल रहे थे। संस्कृति विभाग भोपाल, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद व त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी में जनजातीय कलाकारों के दल ने सहभागिता की। भजन मण्डलियों में सैंकड़ों महिलाओं ने शिव स्तुतियां की। सवारी में सम्मिलित भजन मंडलियां उत्साहपूर्वक डमरू और मजीरे बजाते हुए सवारी में आगे-आगे चले। विशाल ध्वज के साथ बाबा श्री महाकाल की पालकी निकाली गयी।