मध्यप्रदेश के देवास जिले के आबकारी महकमे में शुक्रवार को उस समय हड़कंप मच गया, जब एक माह पहले जहर खाकर आत्महत्या करने वाले शराब ठेकेदार का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया।
वीडियो ठेकेदार दिनेश मकवाना ने मृत्यु पूर्व बनाया था और इसमें वह आबकारी सहायक आयुक्त मंदाकिनी दीक्षित पर वसूली के आरोप लगाते दिखे।
वीडियो के कुछ ही देर बाद आबकारी अधिकारी द्वारा मृत ठेकेदार के स्वजन के खिलाफ देवास एसपी को की गई शिकायत भी सामने आ गई, जिसमें उन्होंने ठेकेदार के स्वजन पर ब्लैकमेलिंग संबंधी आरोप लगाए थे। मामले में अधिकारी ने मृत ठेकेदार के आरोपों को झूठा बताया है। बता दें कि इसके पूर्व भी आबकारी ठेकों से जुड़े लोगों की विभिन्न कारणों से आत्महत्या करने की बातें सामने आ चुकी हैं।
कनाड़िया इंदौर निवासी शराब ठेकेदार दिनेश मकवाना के देवास जिले में तीन ग्रुप में कुल पांच शराब दुकानें थीं। 8 नवंबर को मकवाना ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में कनाड़िया पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी थी। शुक्रवार को अचानक मकवाना का मृत्यु पूर्व बनाया गया एक वीडियो इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। नईदुनिया इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है, जिसमें मकवाना कार के अंदर वीडियो बनाते दिख रहे हैं।
वीडियो में मकवाना ने बोला, “मैं दिनेश मकवाना देवास जिले में शराब ठेके चलाता हूं। चापड़ा, करनावद और डबलचौकी ग्रुप की शराब दुकानें 14 करोड़ का कुल काम है मेरे पास। एसी मंदाकिनी दीक्षित पैसे की डिमांड करती हैं। इनको डेढ़ लाख एक दुकान से चाहिए। मेरी कुल पांच दुकानें हैं, जिनका 7.5 लाख रुपये महीना इनको चाहिए। अभी तक 20-22 लाख दे चुका हूं। मैंने बोला मैडम अभी-अभी घाटा हो रहा है, दशहरे बाद बिक्री बढ़ जाएगी तो में पेमेंट दे दूंगा। हम माल लेते हैं, तो देशी वेयर हाउस पर माल नहीं देने देती है। आज भी मेरा इशु था तो मना कर दिया वेयर हाउस पर कि माल मत देना, जब तक पेमेंट न आए। तो मैं एसी मैडम मंदाकिनी दीक्षित से त्रस्त आकर आत्महत्या कर रहा हूं।”
मामले में सहायक आयुक्त आबकारी मंदाकिनी दीक्षित ने कहा कि मेरी डिग्निटी को खराब करने के लिए वीडियो वायरल किया गया है। इतनी देरी से वीडियो वायरल करने के पीछे इनकी मंशा स्पष्ट है। हमारे द्वारा पूर्व में इस संबंध में देवास एसपी को शिकायत की गई थी। मृत ठेकेदार के परिजन ने वीडियो का डर दिखाकर ब्लैकमेल करने का प्रयास किया।
उन्होंने वसूली के आरोपों को झूठा बताया और वीडियो पुराना होकर ब्लैकमेलिंग से उद्देश्य से बनाया होने की शंका भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि वीडियो की जांच की जानी चाहिए कि यह कब बनाया गया। कलेक्टर ऋतुराज सिंह ने कहा कि इस संबंध में इंदौर के पुलिस थाने में प्रकरण दर्ज हुआ है, विवेचना में जो तथ्य निकलकर सामने आएंगे उसके आधार पर प्रशासन कार्रवाई करेगा। प्रत्येक दुकान से उगाही संबंधी लिखित शिकायत होगी तो जांच की जाएगी।



