भोपाल। विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने जल जीवन मिशन को लेकर राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। उन्होंने शनिवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पीसी कर आरोप लगाया है कि इसमें हजारों करोड़ का घोटाला हुआ है। जल जीवन मिशन बना जल्दी-जल्दी मिशन। कटारे ने इस पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की भी मांग की।
मीडिया को संबोधित करते हुए कटारे ने कहा- भारत सरकार की प्रदेश के गांवों में हर-घर-जल पहुंचाने की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन राजनेता, प्रशासनिक एवं विभागीय अधिकारियों द्वारा किये गये 10,000 करोड़ रुपये के सुनियोजित भ्रष्टाचार और लापरवाही के खेल के कारण योजना अब जल्दी-जल्दी-मनी मिशन बनकर रह गयी है। इस घोटाले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए कहा कि पूर्व प्रमुख अभियंता समेत कार्यपालन यंत्रियों और रेट रिवाइज करने वाले अफसरों के साथ विभागों के प्रमुख सचिवों, मंत्री स्टाफ पर अपराध दर्ज किया जाना चाहिए।
इन अधिकारियों की मोबाइल जांच से सब जाएगा खुलासा
कटारे ने आरोप लगाया कि मिशन में स्थिति यह रही कि जिस अधिकारी को जितना फण्ड चाहिए, वह आलोक अग्रवाल व महेन्द्र खरे से बात कर एक प्रतिशत कमीशन पहुंचा देता और इसके बाद ये सीधे प्रमुख अभियंता से उसी दिन फंड जारी करा देते थे। कटारे ने कहा कि पीएचई के पूर्व प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया, आलोक अग्रवाल व महेंद्र खरे के मोबाइल नंबरों की सीडीआर, रिकार्डिंग की जांच से इसका खुलासा हो जाएगा।
मुख्यमंत्री नल जल योजना पहले से ही फेल थी
कटारे ने कहा कि मुख्यमंत्री नल जल योजना पहले से ही फेल थी, फिर भी जल्दी-जल्दी-मनी डकारने के उद्देश्य से उसी मॉडल पर 27,000 ट्यूबवेल आधारित योजनाएं बनाकर कई तकनीकी विकल्पों की अनदेखी की। बेहतर होता कि सतही जल योजना बनाई जाती। योजना में केन्द्र व राज्य की 45-45 प्रतिशत भागीदारी व शेष 10 प्रतिशत ग्राम पंचायत के अंश का प्रावधान था किन्तु जल्दी-जल्दी-मनी डकारने में यह तथ्य भूल ही गये। उन्होंने कहा कि पीएचई के प्रमुख अभियंता कार्यालय के नोडल अधिकारी आलोक अग्रवाल ने ई-मेल से प्रदेश के सभी जिलों को एक मॉडल डीपीआर का प्रारूप भेजकर निर्देशित किया कि वह इसमें आंकड़े फीड कर भेज दें। उसी के अनुरूप क्रियान्वयन हुआ, जबकि वास्तविक डीपीआर फील्ड से बनानी थी।
गड़बड़ी की शिकायत पर जांच की खानापूर्ति
कटारे ने कहा कि मिशन में हजारों करोड़ की गड़बड़ी की शिकायत पर जांच की खानापूर्ति कर प्रमुख अभियंता ने सबको क्लीनचिट दे दी है। इन हालातों में जरूरी है कि इसकी सीबीआई जांच कराई जाए। कटारे ने पीएचई मंत्री संपतिया उइके को बर्खास्त करने की मांग। इस मिशन में गड़बड़ी के सूत्रधार पूर्व प्रमुख अभियंता केके सोनगरिया, आलोक अग्रवाल, महेन्द्र खरे के विरुद्ध अपराध पंजीबद्ध कर जांच कराई जाए। साथ ही विभाग के पूर्व एवं वर्तमान प्रमुख सचिव व मंत्री के स्टाफ सहित जितने भी रेट रिवीजन हुए उन योजनाओं की कंसल्टेंन्सी व तकनीकी स्वीकृति जारीकर्ता अधिकारियों के विरुद्ध भी अपराध पंजीबद्ध कर जांच कराएं।