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न्याय और सुशासन व्यवस्था को बनाते है जवाबदेह, इंदौर में बोले सीएम, इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस भी

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भोपाल। इंदौर में शनिवार को विधि विशेषज्ञों की अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी (इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस) आयोजित की गई। इवोल्विंग होराइजन्स: नेविगेटिंग कॉम्प्लेक्सिटी एंड इनोवेशन इन कमर्शियल एंड आर्बिट्रेशन लॉ इन द डिजिटल वर्ल्ड विषय पर आयोजित दो दिन सेमिनार का का शुभारंभ मुख्यमंत्री मोहन यादव ने किया। कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, राजेश बिंदल और अरविंद कुमार भी मौजूद रहे। इस कार्यक्रम का मकसद है कि वकील, जज और कानून के छात्र डिजिटल जमाने में बदलते व्यापारिक कानून और विवाद सुलझाने के तरीकों को बेहतर तरीके से समझ सकें। कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के जज, नामित वकील और विधि छात्रों ने हिस्सा लिया।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि न्याय पाना देश के हर नागरिक का मौलिक, बुनियादी, मानवीय, नागरिक और संवैधानिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि भारत की संघीय शासन व्यवस्था का आधार ही सबके जीवन, भोजन और स्वास्थ्य के अधिकारों की समान रूप से न्यायपूर्ण रक्षा करना है। उन्होंने कहा कि लोक कल्याणकारी राज्य का पहला दायित्व है कि देश का कोई भी व्यक्ति न्याय पाने से वंचित न रहे। न्याय और सुशासन न केवल राष्ट्र और समाज को मजबूत करते हैं, बल्कि शासन व्यवस्था को जवाबदेह भी बनाते हैं।

आज का नया दौर न्याय का पथ और गौरवान्वित करने वाला
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज का नया दौर न्याय का पथ गौरवान्वित करने वाला है। उच्चतम न्यायालय द्वारा बीते कुछ सालों में दिए गए कई निर्णयों ने देश को नई दिशा दी है। इससे न्याय व्यवस्था पर हमारी आस्था को और बल मिला है। उन्होंने कहा कि युग बदले, दौर बदले, परंतु न्याय की आत्मा हमेशा वही रहेगी। समानता, पारदर्शिता, विनम्रता और सबको समय पर न्याय दिलाना ही न्यायपालिका की मूल आत्मा रही है और आगे भी रहेंगी। सीएम ने कहा है हमारे देश में न्याय की प्राचीन परंपरा रही है। न्याय देने की स्थापित व्यवस्था को और बेहतर बनाना हमारा लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि अब तो न्याय की देवी की आंखों की पट्ठी भी खोल दी गई है। इसका आशय यह है कि अब न्याय की देवी खुली आंखों से न्याय कर सकेंगी।

सीएम ने न्यायाधीशों और विधि विशेषज्ञों का जताया आभार
सीएम ने इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए इंदौर पधारे सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों और देश-विदेश से आए विधि विशेषज्ञों, न्यायविदों तथा विद्यार्थियों का आभार जताया और कहा कि देश के सबसे स्वच्छतम शहर में न्याय प्रणाली के मंथन पर ऐसी विद्वत सभाओं का आयोजन हमें नई उम्मीद देता है, साथ ही और बेहतर करने की प्रेरणा भी देता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार न्याय प्रणाली को और अधिक सुलभ, सरल और प्रभावी बनाने के लिए निरंतर कदम उठा रही है। राज्य में प्रादेशिक और जिला स्तर के न्यायालयों की सुदृढ़ स्थापना के साथ-साथ मध्यप्रदेश में ग्राम न्यायालयों की व्यवस्था भी की गई है।

सीएम ने भारतीय न्याय परंपरा का किया उल्लेख
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भारतीय न्याय परम्परा का उल्लेख करते हुए कहा कि न्याय हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। हम सम्राट वीर विक्रमादित्य को कैसे भूल सकते हैं, जिन्होंने अपने बाल्यकाल से ही तत्समय भारत देश में न्याय और सुशासन की व्यवस्था का सूत्रपात किया था। हम उन्हीं के बताए मार्ग पर चल रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज देश में कानून के क्षेत्र में अनेक नवाचार हो रहे हैं, जिससे नागरिकों को अधिक अधिकार मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारों के साथ-साथ दायित्वों का पालन भी आवश्यक है उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली जितनी सहज और सरल होगी, नागरिक को उतनी ही जल्दी न्याय मिलेगा। हमारी सरकार का प्रयास है कि प्रत्येक नागरिक को सुगमता से न्याय मिले और उसकी आस्था न्यायिक व्यवस्था पर सदैव बनी रहे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विशेष जोर देकर कहा कि आज के तेजी से विकसित होते तकनीकी युग में, न्यायपालिका को निरंतर मूल्यांकन और अनुकूलन उपायों पर काम करना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि न्याय प्रदान करना नवाचार में बाधा डाले बिना निष्पक्ष और पारदर्शी बना रहे। इससे भारत की अर्थव्यवस्था का विकास हो सके और साथ ही व्यापार करने में आसानी भी सुनिश्चित हो।

निष्पक्षता की सीमाओं का करना होगा विस्तार : जस्टिस माहेश्वरी
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति जितेन्द्र कुमार माहेश्वरी ने कहा कि न्यायपालिका का लक्ष्य कानून का पुनर्निर्माण करना नहीं है, बल्कि निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के विचार को सीमित किए बिना निष्पक्षता की सीमाओं का विस्तार करना है। उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक अर्थव्यवस्था में, डेटा पर नियंत्रण केवल फर्मों या कंपनियों के स्वामित्व से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, और इसलिए, आर्थिक विकास को बाधित किए बिना पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए। वहीं जज जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कानूनी पेशा तकनीकी प्रगति का अपवाद नहीं रह सकता। प्रौद्योगिकी-संचालित और स्वचालित अनुबंधों के उदय के साथ, न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तकनीकी विकास के कारण न्याय से समझौता न हो और इन प्रगति के साथ विकसित होना चाहिए।

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