निहितार्थ

Jeans नहीं Gene वाला मामला है यह

इस बात पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए कि फैशन नितांत निजी मामला है। फटी जीन्स का मामला भी ऐसा ही है। लेकिन इसे लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ रावत के बयान पर बवाल मच गया। महिला वर्ग के ऐसी जीन्स पहनने पर रावत के सुर विरोधी थे। नतीजा यह हुआ कि अगले दिन से सोशल मीडिया पर ऐसी पहनावे के साथ फोटो डालने की होड़ मच गई। ताकि रावत को दकियानूसी साबित किया जा सके। रावत ने अपने कहे पर खेद प्रकट कर दिया। लेकिन विवाद तो अब छिड़ ही गया है। तो होगा यह कि जिन भी लोगों को खुद को प्रगतिशील साबित करना है, वे जिस्म-दिखाऊ छेदों वाली जीन्स के समर्थन में अपने-अपने तरह से घोषित और अघोषित अभियान चलाएंगे। लेकिन इस घटनाक्रम का एक पक्ष गौर करने लायक है। क्योंकि वह हिडन एजेंडे की तरफ संकेत करता है।

रावत भाजपा से जुड़े हुए हैं। उनकी पृष्ठभूमि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ वाली है। लिहाजा उनके इस कहे को तुरंत भाजपा और संघ से जोड़ दिया गया। हिडन एजेंडा गैंग इतनी शातिर है कि उसने बिना कोई समय गंवाए फटी जीन्स को आधुनिकता के पर्याय के रूप में प्रचारित कर दिया। साथ ही इस बयान को बीजेपी सहित संघ की तथाकथित दकियानूसी सोच के तौर पर भी कुख्यात करने का काम जारी है। रावत के बोलने के पहले तक मामला केवल फटी जीन्स के फैशन वाला था। अब बेहद शातिराना अंदाज में इसे भाजपा और संघ सहित संस्कार की बात करने वाली हिन्दू सोच से जोड़ दिया गया है। ये उन्हीं लोगों का काम है, जो दिशा रवि से लेकर अरुंधति रॉय आदि का केवल इसलिए समर्थन करते हैं कि वे अपने ही देश और सिस्टम के खिलाफ जहर उगलने का काम करती हैं।

इस गैंग में उन लोगों का दमदार दखल है, जो भारतीय संस्कार, मर्यादा और उनकी बात करने वालों को उजड्ड साबित करने में अपना गौरव समझते हैं। क्योंकि यदि ये मामला कुछ और होता तो अब तक इस देश में कम से कम एक करोड़ बार मुस्लिम लड़कियों के न्यूनतम कपड़े पहनकर घूमने जैसे क्रांतिकारी दृश्यों वाले अघोषित आंदोलन हो चुके होते। इस वर्ग की लड़कियों के लिए बुर्का पहनने की अनिवार्यता सहित उनके लिबास को लेकर लाखों बार मुस्लिम विद्वान ही फतवे जारी कर चुके हैं। इस समुदाय की लड़कियों और महिलाओं के हक में फटी जीन्स जैसे आंदोलन देखने को नहीं मिलते हैं।

मामला केवल हिन्दुओं या उनके पैरोकारों माने जाने वाले संगठनों को ही टारगेट करने वाला जो ठहरा। केरल में कई ननों की संदिग्ध हाल में मौत हो गई। पादरियों के खिलाफ रेप के आरोप लगे हैं।। पोप फ्रांसिस तक ऐसी घटनाओं पर चिंता जाहिर कर चुके हैं, मगर मजाल है कि कोई दिशा या अरुंधति गैंग या उन जैसे और फटी जीन्स समर्थक इसके खिलाफ आवाज उठायें। इनकी घिग्घी तो उस समय भी बंध जाती है, जब अपनी बात ताकत के साथ रखने वाली तस्लीमा नसरीन को तालीबानी मानसिकता वाले लोग जान से मारने की धमकी देते हैं। बात कुछ पुरानी है। संत हिरदाराम नगर तब बैरागढ़ कहलाता था। वहां सिंधी समुदाय की एक निर्णायक समिति ने अपनी लड़कियों और महिलाओं के शाम ढलने के बाद अकेले किसी सार्वजनिक स्थान पर जाने पर रोक लगाने का फैसला किया।

वजह यह थी कि उस इलाके में इस समुदाय की लड़कियों को बड़े पैमाने पर लव जिहाद का निशाना बनाया जा रहा था। तब एक पत्रकार महोदय ने इस फैसले को ‘स्त्री-विरोधी’ ‘दकियानूसी’ ‘पाषाणयुगी फितरत’ आदि की संज्ञा दी थी। लेकिन वही सज्जन मुझे तीन तलाक की कुरीति समाप्त करने का विरोध करने वालों से सहानुभूति जताते हुए मिल गए। वह इन धर्मांध कट्टरपंथियों का यह कहकर समर्थन कर रहे थे कि केंद्र सरकार को उनके समुदाय के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। ये पत्रकार ही उस सोच का एक वायरस हैं, जिसने रावत के बयान को एक झटके में अपने एजेंडे से जोड़कर ‘मिशन कम्प्लीटेड’ वाला गर्व भाव अपना लिया है। मामला केवल फटी जीन्स ( Jeans ) का नहीं है, बल्कि उस जीन ( Gene ) का है, जो भारत और भारतीय मान्यताओं को दीमक की तरह चट करने के मंसूबों के संवाहक हैं।

प्रकाश भटनागर

मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में प्रकाश भटनागर का नाम खासा जाना पहचाना है। करीब तीन दशक प्रिंट मीडिया में गुजारने के बाद इस समय वे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तरप्रदेश में प्रसारित अनादि टीवी में एडिटर इन चीफ के तौर पर काम कर रहे हैं। इससे पहले वे दैनिक देशबंधु, रायपुर, भोपाल, दैनिक भास्कर भोपाल, दैनिक जागरण, भोपाल सहित कई अन्य अखबारों में काम कर चुके हैं। एलएनसीटी समूह के अखबार एलएन स्टार में भी संपादक के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रकाश भटनागर को उनकी तल्ख राजनीतिक टिप्पणियों के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है।

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