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जल गंगा संवर्धन अभियान- मोहन की पहल से बुझेगी बुंदेलखंड की प्यास, बनाए जा रहे हजारों अमृत सरोवर औ खेत-तालाब

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भोपाल। जल गंगा संवर्धन अभियान लंबे समय से सूखा, जल संकट और पलायन का दंश झेल रहे बुंदेलखंड के लिए वरदान सिद्ध हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के प्रयासों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सौगात केन-बेतवा रिवर-लिंक परियोजना का बुंदेलखंड में शुभारंभ हो चुका है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में राज्य सरकार के जल गंगा संवर्धन अभियान से हो रहे जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण से बुंदेलखंड की तस्वीर और तकदीर बदलने वाली है। यहां के किसानों को आने वाले समय में सिंचाई और पेयजल के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध रहेगा, साथ ही भूजल स्तर में भी वृद्धि होगी।

यह संभव होगा अंचल में बनाए जा रहे 8 हजार से अधिक खेत-तालाब और 128 से अधिक अमृत सरोवरों के निर्माण से। इन जल संरचनाओं के पूर्ण होने से वर्षा जल सहेजा जा सकेगा। इससे अंचल के निवासियों को हर मौसम में पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता बनी रहेगी, साथ ही भूजल स्तर भी बढ़ेगा। पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता रहने से यहां के लोग मछली पालन और सब्जी की खेती भी कर सकेंगे।

अकेले सागर में बनाए जा रहे 2298 खेत-तालाब
बुंदेलखंड के किसानों को सिंचाई और पेयजल की पर्याप्त उपलब्धता के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत सागर संभाग के सागर, टीकमगढ़, पन्ना, निवाड़ी, छतरपुर और दमोह जिलों में खेत-तालाब और अमृत सरोवरों का निर्माण करा रहा है। अभियान के अंतर्गत टीकमगढ़ में 972, दमोह में 1377, निवाड़ी में 408, सागर में 2298, पन्ना में 1421, छतरपुर में 1677 खेत-तालाब बनाए जा रहे हैं। साथ ही पन्ना में 17, छतरपुर में 37, टीकमगढ़ में 16, दमोह में 23, निवाड़ी में 11 और सागर में 33 अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं।

मंदिर परिसरों की जल संरचनाओं में साफ-सफाई
मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद की छतरपुर जिले में गौरिहार इकाई ने जल गंगा संवर्धन अभियान के अंतर्गत खामिनखेड़ा गांव में स्थानीय निवासियों के सहयोग से बिहारी तालाब की साफ सफाई की। ग्राम पंचायत निधौली में पूरन तालाब और हनुमान मंदिर प्रांगण में साफ सफाई की गई। संस्था के सदस्यों ने ग्रामवासियों को जल संरक्षण एवं जलाशयों को संरक्षित रखने के उपायों की विस्तृत जानकारी दी। ग्रामवासियों को जल स्रोतों को स्वच्छ एवं संरक्षित रखने खेत की मेड़ अथवा खाली पड़ी जमीन पर पेड़ लगा कर पृथ्वी को हरा भरा बनानवे में सहयोग की शपथ भी दिलाई गई।

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