20.1 C
Bhopal

जस्टिस वर्मा पर महाभियोग शुरू, 145 सांसदों ने किए ज्ञापन पर हस्ताक्षर

प्रमुख खबरे

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया सोमवार दोपहर से शुरू हो गई। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर जले हुए 500 रुपये के नोटों के ढेर मिले थे, जिसके बाद भारी बवाल देखने को मिला था।

दरअसल, सोमवार को सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के 145 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को एक ज्ञापन सौंपा। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) जैसे विपक्षी दलों के सांसदों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए है।

जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ लाए जाने वाले महाभियोग प्रस्ताव के ज्ञापन पर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी दलों, जैसे तेलुगु देशम पार्टी, जनता दल यूनाइटेड और जनता दल सेक्युलर, के सांसदों ने भी ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, अब तक हस्ताक्षर करने वालों में भाजपा से पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, कांग्रेस के राहुल गांधी और शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सुप्रिया सुले शामिल हैं।

पहली बार किसी न्यायाधीश के खिलाफ लाया जा रहा महाभियोग

प्राप्त जानकारी के अनुसार स्वतंत्र भारत में पहली बार किसी कार्यरत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के महाभियोग की अब संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत जांच की जाएगी।

जानिए क्या होता है महाभियोग?

गौरतलब है कि महाभियोग सर्वोच्च न्यायालय या राज्य उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को उसके पद से हटाने से हटाने का एक संवैधानिक प्रक्रिया है। जानकारी दें कि एक बार नियुक्त होने के बाद, न्यायाधीशों को राष्ट्रपति के आदेश के बिना पद से नहीं हटाया जा सकता, जिसके लिए संसद की सहमति आवश्यक होती है।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय संविधान में ‘महाभियोग’ शब्द का उल्लेख नहीं है, लेकिन न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया न्यायाधीश जाँच अधिनियम, 1968 में उल्लिखित है और दो संवैधानिक प्रावधानों – अनुच्छेद 124 (सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के लिए) और अनुच्छेद 218 (उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए) में इसका उल्लेख है।

- Advertisement -spot_img

More articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisement -spot_img

ताज़ा खबरे