सिरसा। सिरसा डेरा प्रमुख राम रहीम को 30 दिन की पैरोल पर है। खास बात यह है कि साढ़े सात साल में ऐसा पहली बार हुआ जब राम रहीम डेरा मुख्यालय आया है, लेकिन उसके मुख्यालय जाने की बड़ी वजह सामने आई है। सूत्रों की मानें तो डेरे की गद्दी को लेकर चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए राम रहीम मुख्यालय गया है। यही नहीं वह अपनी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत को डेरे के प्रबंधन सहित सभी अधिकार दे सकता है। कुल मिलाकर डेरा प्रमुख डेरे की पूरी कमान हनीप्रीत को सौंप सकता है। इसके लिए हनीप्रीत को पावर आॅफ अटॉर्नी भी दी जा सकती है। हालांकि, डेरा प्रबंधन की ओर से इस मामले में कोई पुष्टि नहीं की गई है।
बता दें कि डेरे की गद्दी को लेकर यह विवाद पहले राम रहीम के परिवार और उसकी मुंहबोली बेटी हनीप्रीत के बीच चल रहा था। जिसके बाद परिवार विदेश चला गया। अब हनीप्रीत और डेरा मैनेजमेंट कमेटी के बीच विवाद चल रहा था। हनीप्रीत को डेरे की कमान सौंपने की संभावना ने कई सवाल खड़े किए हैं। सबसे बड़ा सवाल यही है कि हनीप्रीत को इतनी बड़ी जिम्मेदारी क्यों दी जा रही है? इसके पीछे क्या कारण हैं? डेरे से जुड़े सूत्रों का कहना है कि डेरे के रोजमर्रा के कामकाज में तेजी से फैसले लेने में दिक्कत आ रही है। राम रहीम जेल में हैं, इसलिए हर छोटे-बड़े फैसले के लिए उन्हें परोल पर आना पड़ता है या डेरा कमेटी को जेल में उनसे मिलना पड़ता है। यह प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल है। हनीप्रीत राम रहीम की सबसे करीबी और विश्वासपात्र हैं। इसलिए, यह माना जा रहा है कि डेरे के कामकाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
राम रहीम ने हनीप्रीत का नाम रख दिया था रूहानी दीदी
राम रहीम ने अक्टूबर 2022 में हनीप्रीत का नाम भी बदल दिया था। राम रहीम ने हनीप्रीत का नाम रूहानी दीदी (रुह दी) रख दिया था। तब राम रहीम 40 दिन की पैरोल पर आया था। इससे भी कयास तेज हुए थे कि डेरे का अधिकार देने से पहले राम रहीम हनीप्रीत के सांसारिक नाम की जगह कोई ऐसा नाम दे रहा है, जिससे वह डेरे के गद्दीनशीन के तौर पर जाहिर हो सके। बताया यह भी जा रहा है कि राम रहीम ने हनीप्रीत के पिता के नाम के आगे अपने गुरु सतनाम सिंह का नाम अंकित करवा दिया और खुद को उनका मुख्य शिष्य अंकित करवाया। वहीं परिवार पहचान पत्र में अपनी पत्नी और मां के नाम ना लिखवाकर केवल हनीप्रीत का ही मुख्य शिष्य के तौर पर नाम दर्ज करा दिया।
डेरे के अहम फैसले ले रही थी हनीप्रीत
डेरे के सोर्सेज के मुताबिक राम रहीम के परिवार के विदेश जाने के बाद हनीप्रीत की दखलअंदाजी काफी बढ़ चुकी थी। राम रहीम की मुख्य शिष्या होने की वजह से वह डेरे के कई अहम फैसले ले रही थी। इसके अलावा राम रहीम ने डेरे से जुड़े पॉलिटिकल फैसले लेने का अधिकार भी हनीप्रीत को ही दे रखा था। परिवार और मैनेजमेंट से विवाद की वजह भी हनीप्रीत का नेताओं से मीटिंग करना रहा था। विवाद के चलते राम रहीम के बच्चे विदेश में बस चुके हैं। इनमें उसकी बेटी अमरप्रीत और चरणप्रीत कौर के अलावा बेटा जसमीत भी शामिल है। डेरा प्रमुख की मां नसीब कौर और पत्नी हरजीत कौर देश में ही हैं लेकिन कागजात में उनके नाम नहीं हैं। डेरे के सूत्रों के मुताबिक हनीप्रीत से ही उनका विवाद हुआ था। परिवार डेरा मैनेजमेंट पर भरोसा कर रहा था लेकिन हनीप्रीत इसमें इंटरफेयर कर रहीं थी।