नई दिल्ली। भारत द्वारा पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को तबाह किए जाने के बाद से दोनों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया है। भारत की एयरस्ट्राइक का जवाब देने के लिए पाकिस्तान ने गुरुवार की रात भारत पर ड्रोन से मिसाइलों से हमला करने की कोशिश की, जिसका भारत माकूल जवाब दिया। यही नहीं भारत की सेना ने उसके चार फाइटर विमानों को भी नेस्तनाबूत कर दिया। वहीं ताबड़तोड़ मिसाइलें दागकर कराची से लेकर लाहौर तक तबाही मचाई। भारत के ताबड़तोड़ एक्शन से अब पड़ोसी मुल्क की हेकड़ी निकलने लगी है। पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को सलाह दी है कि वह युद्ध का रास्ता छोड़ कूटनीतिक तरीके से स्थिति को संभालें।
रिपोर्ट की मानें तो नवाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में लिए गए निर्णयों पर जानकारी प्राप्त करने के बाद शहबाज शरीफ से मुलाकात की। रिपोर्ट के अनुसार, नवाज शरीफ ने कहा कि मौजूदा स्थिति में पाकिस्तान को आक्रामक रवैया अपनाने के बजाय सभी उपलब्ध कूटनीतिक साधनों का उपयोग करना चाहिए, ताकि दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच तनाव को कम किया जा सके और क्षेत्र में शांति स्थापित की जा सके। उन्होंने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के नेतृत्व वाले गठबंधन सरकार से अपील की कि वह इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर प्रभावी ढंग से उठाए और भारत पर वैश्विक दबाव बनाने के लिए राजनयिक प्रयास तेज करे।
इससे पहले 2023 में नवाज शरीफ ने भारत के साथ अच्छे संबंधों के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा था कि 1999 में उनकी सरकार को इसलिए हटाया गया क्योंकि उन्होंने कारगिल युद्ध का विरोध किया था। पूर्व पीएम ने कहा था, 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने पांच परमाणु परीक्षण किए। उसके बाद वाजपेयी साहब यहां आए और हमारे साथ समझौता किया। लेकिन हमने उस समझौते का उल्लंघन किया। यह हमारी गलती थी। शरीफ द्वारा उल्लेखित समझौता लाहौर घोषणा था, जिस पर उन्होंने और तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 21 फरवरी, 1999 को भारत और पाकिस्तान के बीच शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ हस्ताक्षर किए थे। हालांकि, हस्ताक्षर के तुरंत बाद, पाकिस्तानी सैनिकों ने जम्मू और कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ की, जिसके कारण कारगिल युद्ध हुआ।