मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहे भगत सिंह कुशवाहा को राजधानी भोपाल में गिरफ्तार किया गया है। पिछले दिनों शहर के टीटी नगर थाने में दर्ज किए गए धोखाधड़ी के एक केस में उनकी गिरफ्तारी की गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार भगत सिंह के साथ दो अन्य आरोपियों को भी पुलिस ने अरेस्ट किया है।
मामला दरअसल टीटी नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत आने वाले अंजलि कॉम्प्लेक्स में स्थित कुशवाहा भवन को हड़पने के लिए कूटरचित दस्तावेज बनाए जाने का है। इन्हीं के आधार पर 15 साल से कुशवाहा भवन पर कब्जा कर ऑफिस के साथ-साथ गर्ल्स हॉस्टल चला रहा था। मामले को लेकर एसीपी अंकिता खातेकर ने बताया कि, साल 2022 में भगत सिंह कुशवाह के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत मिली थी। दो साल मामले की जांच चलने के बाद 2024 में एफआईआर दर्ज की गई। इसी के बाद से पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी हुई थी।
बताया जा रहा है कि भगत सिंह ने समाज के भवन की भूमि को अपने नाम पर ट्रांसफर करने के लिए फर्जी अनुबंध पत्र तैयार करवाया था। इसमें समाज के तत्कालीन अध्यक्ष व अपने ससुर बाबूलाल भानपुर के फर्जी हस्ताक्षर खुद बना लिए थे, जबकि बाबूलाल की मृत्यु हो चुकी थी। भगत सिंह कुशवाहा उक्त भवन में गर्ल्स कॉलेज का संचालन करने लगे, वर्ष 2020 में इसे लेकर विवाद शुरू हो गया।
वहीं 2023 में लीज समाप्त होने के बाद भगत सिंह ने जब नवीनीकरण के लिए फर्जी अनुबंध प्रस्तुत किया तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ। पिछले वर्ष समाज के नए अध्यक्ष योगेश कुशवाहा सहित अन्य पदाधिकारियों की शिकायत पर टीटीनगर पुलिस ने अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया था। बुधवार रात टीटी नगर पुलिस ने भगत सिंह कुशवाहा, उसके साले सीताराम और मोहन कुशवाहा को गिरफ्तार कर लिया है। गुरुवार को तीनों को जेल भेजा गया।
मामले की जांच कर रहे एसआइ राघवेंद्र सिंह सिकरवार का कहना है कि फिलहाल तीन आरोपितों की गिरफ्तारी हुई है। पूछताछ में उन्होंने यह नहीं बताया कि बाबूलाल के स्थान पर किसने साइन किए थे, लेकिन तीनों की भूमिका सामने आई थी। यदि अन्य लोगों के भूमिका सामने आती है तो उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी।
गौरतलब है कि शासन ने वर्ष 1993 में कुशवाहा समाज को पांच हजार वर्गफीट क्षेत्रफल का प्लाट 30 साल की लीज पर आवंटित किया। लीज दस्तावेज पर तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष बाबूलाल भानपुर के हस्ताक्षर थे। वर्ष 2001 में मप्र कुशवाहा समाज भवन समिति ने चंदा इकट्ठा कर भवन का निर्माण किया। वर्ष 2016 में बाबूलाल के निधन के बाद उनके रिश्ते के दामाद भगत सिंह कुशवाहा ने भवन पर कब्जा कर लिया था।



