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दूसरे दलों से कांग्रेस में आए नेताओं के लिए बुरी खबर: नहीं होगी जिला अध्यक्ष पद पर ताजपोशी

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भोपाल। मध्यप्रदेश में बीते 20 साल से सत्ता सुख से दूर कांग्रेस अब संगठन में बदलाव कर वापसी सत्ता पाने की कोशिशों में जुट गई है। यहीं नहीं मप्र कांग्रेस 2028 का विधानसभा चुनाव फतह करने के लिए करीब साढ़े तीन साल पहले ही तैयारियों में भी जुट गई है। पार्टी का का सबसे बड़ा फोकस संगठन मजबूत करने पर है। बनानी शुरू कर दिया है। प्रदेश के सभी जिलों में बनाए जाने वाले जिला अध्यक्ष को लेकर अब मंथन चल रहा है। लेकिन इससे जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। जो भाजपा या अन्य दलों से कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं को झटका देने वाली है।

दरअसल भाजपा या दूसरी पार्टियों से कांग्रेस में शामिल हुए नेताओं को जिला अध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। कम से कम पार्टी में 5 साल का काम करने का अनुभव होना जरूरी है। पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने साफतौर पर कह दिया है कि भाजपा से आये हुए नेताओं को कम से कम 5 साल पार्टी में कार्यकर्ता के तौर पर गुजारना होगा। जिसके बाद संगठन आगे इस पर फैसला लेगा। यह निर्णय कांग्रेस के उन नेताओं और कार्यकर्ताओं को देखकर लिया गया है, जो पिछले कई सालों से कांग्रेस में सक्रिय रहकर पार्टी के लिए कार्य कर रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने 165 आॅब्जर्वर्स को नियुक्ति की है।

युवा जिलाध्यक्ष चुनने पर विचार कर रही कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी प्रदेश में युवा जिला अध्यक्षों को चुनने पर विचार कर रही है, जिनकी उम्र 45 वर्ष से अधिक नहीं हो। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने भी उम्र की बात पर जोर दिया है कि 5 साल से पहले पार्टी में शामिल नेताओं को पैनल में न जोड़ा जाए। लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने इसे खारिज कर दिया है। उन्होंने बुधवार को पीसीसी में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जिला अध्यक्ष के लिए 45 साल अधिकता उम्र की बात कही जा रही है। लेकिन यह निराधार है जिला अध्यक्षों के लिए कोई उम्र निर्धारित नहीं है केवल योग्यता ही पैमाना है। योग्य व्यक्तियों को जिला अध्यक्ष बनाया जाएगा। उन्होंने साथ में यह भी कहा कि

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी हैं योजनाएं
जीतू पटवारी ने कहा कि मध्यप्रदेश में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं, जो गरीबों, किसानों और ग्रामीण जनता के उत्थान के लिए शुरू की गई थीं, भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी हैं। जल जीवन मिशन से लेकर स्वच्छ भारत मिशन और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं में अरबों रुपये का गबन, फर्जी बिलिंग, और कागजी प्रगति का घिनौना खेल सामने आया है। उन्होने कहा कि मध्यप्रदेश में केंद्र की हर योजना भ्रष्टाचार के दलदल में फंस चुकी है। यह भ्रष्टाचार न केवल जनता के विश्वास को ठेस पहुंचा रहा है, बल्कि गरीबों, किसानों और ग्रामीणों के हक को छीन रहा है।

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