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साइबर ठगों ने रिटायर्ड अधिकारी को एक सप्ताह रखा डिजिटल अरेस्ट

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मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में डिजिटल अरेस्ट का हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। मिलिट्री इंजीनियर सर्विस के 85 वर्षीय रिटायर्ड अधिकारी को साइबर ठगों ने फर्जी खाते के मामले में एक सप्ताह तक डिजिटल अरेस्ट रखा।

ठगों ने पहले पुलिस अधिकारी बनकर फोन कर फर्जी खाता खुलवाने के आरोप लगाए। उन्होंने आरोपों से इनकार किया तो बेगुनाही को साबित करने मामले को सीधे सुप्रीम कोर्ट तक ले गए।

कोर्ट में दिनभर ऑनलाइन सुनवाई हुई, जिसमें जज थे, दोनों पक्षों के वकीलों ने पैरवी की और फिर अंत में ठगों ने जज बनकर फैसला भी सुना डाला।

इतना ही नहीं उन्होंने मामले की जांच ईडी को सौंप दी। ऑनलाइन सब कुछ एक सरकारी व्यवस्था की तरह चलता रहा और रिटायर्ड अधिकारी इसे वास्तविक कार्रवाई मानते रहे। फिर ई़डी की जांच के नाम पर उन्होंने अपनी पूरी जमा पूंजी ठगों के खातों में ट्रांसफर कर दी।

वहीं रुपयों की जांच के बाद राशि वापस नहीं मिली, तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ और पुलिस के पास पहुंचे। पुलिस के अनुसार 85 वर्षीय टीके नागसरकर बागमुगालिया क्षेत्र में रहते हैं। वह वर्ष 2001 में केंद्र की मिलिट्री इंजीनियर सर्विस से रिटायर हुए थे।

13 नवंबर की सुबह उनके मोबाइल पर कॉल आया, जहां फोन करने वाले खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी विजय खन्ना बताया। साथ ही आरोप लगाया कि आपका कैनरा बैंक का खाता फर्जी हस्ताक्षर कर खोला गया है और इसमें संदिग्ध लेनदेन हुआ है। नागसरकर ने आरोपों से इनकार किया तो पुलिस ने शुरुआती जांच की और फिर कहा कि यदि आप निर्दोष हैं तो कोर्ट में साबित करें। मामला अगले दिन कोर्ट पहुंचा, जहां नागसरकर को 14 नवंबर को ऑनलाइन ही सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया। उन्हें एक वकील भी दिया गया था।

जज ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और फिर पूरी जांच ईडी को सौंपने का आदेश सुनाया। दिल्ली-डिब्रूगढ़ के खातों में भेजी गई राशि अगले दिन 15 नवंबर को ईडी की कार्रवाई शुरू हुई। मामले की जांच अधिकारी बनीं निशा पटेल को सौंपी गई। उन्होंने पूर्व अधिकारी को बताया कि आपके कैनरा बैंक के फर्जी खाते मामले में अन्य सभी बैंक खातों में जमा राशि की जांच होगी।

निशा पटेल ने 15 नवंबर को उनके खाते में जमा 20 लाख रुपये दिल्ली की एक फर्नीचर फर्म के एक खाते में ट्रांसफर करवाए और फिर 19 तारीख को पूर्व अधिकारी के दूसरे खाते में जमा 16 लाख रुपये भी डिब्रूगढ़ के बैंक खाते में जमा करवा दिए। साथ ही बताया कि एक सप्ताह के भीतर पूरी जांच हो जाएगी, जिसके बाद सभी राशि लौटा दी जाएगी। राशि वापस न मिलने पर उन्होंने इसी सप्ताह साइबर क्राइम सेल में शिकायत की।

 

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