महाराष्ट्र में प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे ने एक बार फिर आमरण अनशन का ऐलान किया है। अन्ना हजारे ने एक बयान में कहा है कि मैं 30 जनवरी, 2026 से अनशन पर बैठूंगा। यह अनशन मेरी आखिरी सांस तक चलेगा। अन्ना हजारे के ऐलान से महाराष्ट्र के नागपुर में चल रहे शीतकालीन सत्र का सियासी माहौल गर्म हो गया है।
अन्ना ने ऐसे वक्त पर अनशन का ऐलान किया है जब केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री हैं। दोनों जगहों पर बीजेपी और एनडीए सत्ता में है। अन्ना हजारे आखिरी बार 2011 में दिल्ली के रामलीला ग्राउंड पर अनशन पर बैठे थे, तब उनके अनशन ने पूरे देश में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार के खिलाफ देशभर में चिंता पैदा करने वाला माहौल बना दिया था। इसके बाद 2014 के चुनावों में केंद्र से कांग्रेस की विदाई हो गई थी।
अन्ना हजारे के इस बार निशाने पर महाराष्ट्र सरकार है। अन्ना हजारे की मांग है कि महाराष्ट्र में लोकायुकत कानून लागू किए जाने में देरी हो रही है। लोकायुक्त को मंजूरी मिले दो साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक सरकार ने कानून को लागू नहीं किया है। सरकार के स्तर पर हो रही देर से अन्ना हजारे नाराज हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में लोकायुक्त कानून लागू नहीं किए जाने को लेकर ही आमरण अनशन की योजना बनाई है।
अब उन्होंने बाकायदा इसका ऐलान कर दिया है। उन्होंने राज्य के सीएम देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर तुंरत लोकायुक्त कानून को लागू करने की मांग की है। अन्ना हजारे के आमरण अनशन पर बैठने की तिथि का खुलासा ऐसे वक्त पर हुआ है जब पूरी सरकार विधानमंडल सत्र को अटेंड करने के लिए राज्य की दूसरी राजधानी नागपुर में है।
अन्न हजारे दिल्ली के रामलीला मैदान की तर्ज पर ही अपने निवास स्थान रालेगण सिद्धि में आमरण अनशन पर बैठेंगे। उन्होंने कहा है कि हार्ट अटैक से मरने से बेहतर है कि मैं देश और समाज के हित अपने प्राणों का त्योग करूं।
अन्ना हजारे लंबे समय से राज्य में सशक्त लोकपाल की मांग कर रहे हैं। दिल्ली में भी उनका आंदोलन और आमरण अनशन लोकपाल कानून के लिए ही था। अन्ना के ऐलान से शीतकालीन सत्र के बीच राजनीतिक तौर पर पारा चढ़ा दिया है।



