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दिल्ली कार ब्लास्ट में हुआ था अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल

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लाल किला के पास कार धमाके में डॉ. उमर नबी ने 30 से 40 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल किया था। अभी तक की जांच में यह लगभग यह बात साफ हो चुकी है कि धमाके में अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल हुआ है।

आशंका व्यक्त की जा रही है कि विस्फोट को शक्तिशाली बनाने के लिए अमोनियम नाइट्रेट के अलावा कुछ दूसरे विस्फोटक पदार्थों का इस्तेमाल हुआ है।

अमोनियम नाइट्रेट के साथ किन-किन केमिकल का इस्तेमाल हुआ, इसकी पड़ताल फिलहाल जारी है। यह भी बात भी लगभग साफ है कि विस्फोटक को कार की पिछली सीट पर रखा गया था। शुरुआती जांच इशारा कर रही है कि डॉ. उमर नबी ने विस्फोट के लिए कार के बोनट में कोई डेटोनेटर फिट किया। बाद में बैटरी से इसके कनेक्शन किए गए।

सूत्रों का कहना है कि पूरी योजना के तहत डॉ. उमर ने सुनहरी बाग पार्किग में कार खड़ी करने के बाद विस्फोटक को वहां तैयार किया। यह काम उमर ने अकेले किया या उसके साथ कोई और भी शामिल था। इसका पता लगाने के लिए जांच एजेंसियों ने उस पूरे एरिया का डंप डाटा पिक किया है। उसकी गहन पड़ताल की जा रही है।

सूत्रों के मुताबिक फरीदाबाद से विस्फोटक होने के बाद डॉ. उमर नबी आई-20 कार में सवार होकर निकल गया था। धमाके से पहले वह कहां-कहां गया और किससे मिला इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। जांच एजेंसियों ने दिल्ली-एनसीआर-हरियाणा के करीब 5000 सीसीटीवी कैमरों की मदद से उसके रूट को जोड़ा है।

धमाके के बाद जांच दलों ने करीब 500 से 600 मीटर के दायरे में आई-20 कार के टुकड़े बरामद किए हैं। उनकी फॉरेंसिक जांच कर इस बात का पता लगाया जा रहा है कि किस तरह के विस्फोटक से कार के इतने छोटे-छोटे टुकड़े हुए। जांच दल की टीमें लगातार दिल्ली, हरियाणा, जम्मू एवं कश्मीर और यूपी के अलग-अलग इलाकों में दबिश दे रही है।

लाल किला के पास हुए धमाके की जांच के दौरान 9एमएम के तीन कारतूस बरामद हुए हैं। एक अधिकारी ने बताया कि दो कारतूस हैं जबकि एक खोखा है। दरअसल कारतूस मिलने को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि 9एमएम के कारतूस या तो सुरक्षा बल इस्तेमाल करते हैं या फिर पुलिसकर्मी इनका इस्तेमाल करते हैं।

धमाके के बाद कारतूस मिलने के बाद आशंका व्यक्त की जा रही थी कि शायद जांच के दौरान किसी पुलिसकर्मी या सुरक्षा बल के यह कारतूस भूल से गिर गए होंगे। छानबीन में किसी ने भी कारतूस गिरने का कोई दावा नहीं किया है। ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि यह कारतूस घटना स्थल पर कैसे आए और इसके पीछे क्या मकसद था।

लाल किला के पास हुए धमाके में मारे गए बिलाल अहमद संगू का रविवार को भी पोस्टमार्टम नहीं हो सका। जम्मू एवं कश्मीर के गांदरबल के रहने वाले बिलाल के परिजनों ने एसएसपी के जरिए दिल्ली पुलिस से संपर्क कर रविवार को दिल्ली पहुंचने की बात की थी। पुलिस सूत्रों का कहना है कि परिवार दिल्ली नहीं आया। इस वजह से बिलाल के शव का पोस्टमार्टम नहीं हुआ। उसका शव मौलाला आजाद मेडिकल कॉलेज की मोर्चरी में सुरक्षित रखा हुआ है। सोमवार को परिवार के दिल्ली आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसके बाद शव परिवार के हवाले कर दिया जाएगा। बता दें कि सामान छोड़कर लाल किला लौट रहे जुगाड़ ई-रिक्शा बिलाल की इलाज के दौरान गुरुवार को मौत हो गई थी।

लाल किला के पास खुद को कार के साथ उड़ाने वाले फिदायन आतंकी डॉ. उमर नबी के शव के कई टुकड़े मोर्चरी में रखे हुए हैं। डीएनए से उसके शव की पहचान भी हो गई है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि उमर का शव लेने के लिए अभी किसी ने भी दावा नहीं किया है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियां उसके परिवार से लगातार पूछताछ कर रही हैं।

सूत्रों का कहना है कि धमाके से उमर के शरीर के कुछ ही टुकड़े बच पाए थे। उनको एक गत्ते के कार्टन में मोर्चरी के फ्रिजर में हुआ है। माना जा रहा है कि घटना स्थल से करीब 150 मीटर गौरी शंकर मंदिर के पास शौचालय की छत से मिला एक हाथ भी उमर का हो सकता है। उसको भी शव के टुकड़ों के साथ रखा गया है।

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