मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल नगर निगम (बीएमसी) में चालू किया गया फेस अटेंडेंस सिस्टम कर्मचारियों की उपस्थिति को दुरुस्त करने की जगह नई चुनौतियां खड़ी कर रहा है।
लगभग एक महीने के आंकड़ों से साफ है कि उपस्थिति को लेकर निगम की आंतरिक व्यवस्था बेहद कमजोर हो चुकी है।
रोजाना 2,000 से 2,500 कर्मचारी हाजिरी से बाहर दिख रहे हैं, जबकि सिस्टम में 16,000 से ज्यादा कर्मचारी पंजीकरण करवा चुके हैं।
स्थिति यह है कि खुद प्रशासन यह तय नहीं कर पा रहा कि रोज अनुपस्थित दिखने वाले ये कर्मचारी वास्तव में ड्यूटी पर नहीं आते, या फिर सिस्टम से बाहर रहकर कहीं और तैनात कर दिए जाते हैं।
नियमों के मुताबिक कर्मचारियों को अपने कार्यस्थल के 50 मीटर के दायरे में फेस अटेंडेंस लगाना अनिवार्य है। लेकिन बड़ी संख्या में कर्मचारी उसी दायरे में मौजूद होने के बावजूद हाजिरी दर्ज नहीं करवा रहे।
निगम अधिकारियों का कहना है कि कई मामलों में कर्मचारी अपने काम पर आते हैं, लेकिन जानबूझकर अटेंडेंस नहीं लगाते, ताकि बाद में वेतन कटने पर विवाद खड़ा किया जा सके।
पिछले दिनों निगम के अंदर यह चर्चा फैल गई कि दर्जनों दैनिक वेतनभोगियों का 15 दिन का वेतन काट लिया गया है।
कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ने लगी, जिसके बाद प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाते हुए 100% उपस्थिति सुनिश्चित कराने का आदेश दिया।
इसके बावजूद उपस्थिति में सुधार नहीं हुआ। उच्च अधिकारियों का कहना है कि सिस्टम की समस्या से ज्यादा यह मानव संसाधन प्रबंधन की समस्या है।
बीएमसी सूत्रों के अनुसार सैकड़ों कर्मचारी अपने मूल कार्यस्थल से हटाकर मंत्रियों, विधायकों और वरिष्ठ अधिकारियों के सरकारी आवासों पर घरेलू व अन्य कामों के लिए तैनात कर दिए जाते हैं।
ऐसे कर्मचारियों की लोकेशन कार्यस्थल से बाहर रहती है, और फेस अटेंडेंस सिस्टम उन्हें स्वतः अनुपस्थित मान लेता है। इस तरह असल कामकाज वाले विभागों की ताकत कम हो जाती है और मैदान में कर्मचारियों की भारी कमी महसूस होती है।
नगर निगम में कुल 16,600 से अधिक कर्मचारी हैं, जिनमें 12,400 अस्थायी कर्मचारी (29-दिन, 89-दिन और अनुबंध पर) 4,200 स्थायी कर्मचारी आईटी सेल द्वारा लगभग सभी का पंजीकरण पूरा हो चुका है, लेकिन सबसे ज्यादा अनियमितता अस्थायी कर्मचारियों में पाई जा रही है।



