मध्यप्रदेश में धान की मिलिंग से जुड़े कामों में गड़बड़ी करने वाली कंपनियों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। परिवहन करने वाले वाहनों में पहली बार जीपीएस लगेंगे।
जिला प्रबंधकों व क्षेत्रीय प्रबंधकों को पूरा काम ठीक से कराना होगा। किसी भी तरह की गड़बड़ी के लिए अंतिम रूप से ये जिम्मेदार होंगे। यदि गड़बड़ी होती है तो इन पर भी गाज गिरेगी।
खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने ये निर्देश विभाग की अपर मुख्य सचिव रश्मि अरुण शमी को दिए। वे धान मिलिंग से जुड़े व्यापारियों के साथ मिलिंग नीति को लेकर बैठक कर रहे थे।
इस दौरान मंत्री ने निर्देश दिए कि जिन ट्रकों से धान परिवहन होगा उन पर जीपीएस ट्रेकर लगाते हुए उक्त वाहनों का सत्यापन परिवहन सेवा पोर्टल से कराएं। यदि कोई ट्रक बिना जीपीएस के पाया गया तो संबंधितों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पूरी व्यवस्था धान मिलिंग से जुड़ा काम करने वाले मिलर्स से जुड़ी होती है, पूर्व में कई मिलर्स गड़बड़ी करते पकड़ा चुके हैं। विभाग ने इन्हें चिह्नित भी किया लेकिन ठीक से कार्रवाई नहीं की। पहली बार मंत्री राजपूत ने कहा कि अब किसी भी मिलर्स ने इस पूरे काम में कोई गड़बड़ी की तो उन्हें भी नहीं छोड़ेंगे।
शहडोल-उमरिया के मिलर्स द्वारा एनसीसीएफ के प्रभारी एवं कर्मचारियों के कार्य व्यवहार पर विरोध जताने पर मंत्री ने संबंधित जिले के ब्रांच मैनेजर के खिलाफ कठोर कार्रवाई के साथ कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के निर्देश दिए।
मिलर्स के गोदामों की भंडारण क्षमता की पड़ताल और उनके गोदाम, मिल का निरीक्षण जिला स्तरीय समिति द्वारा कराएं।
मिलर्स द्वारा बताए गोदाम की स्थिति एवं उसकी क्षमता पर्याप्त नहीं होती है, इसलिए अधिकारी पड़ताल में कोताही न करें।
जो मिलर्स गुणवत्तायुक्त अच्छा काम करेंगे, उन्हें गत वर्ष की तुलना में 3 से 4 गुना अधिक मात्रा में धान देकर उनकी मिलिंग क्षमता का पूरा उपयोग करें।
मिलर्स को मिलिंग का काम जून 2026 की तय सीमा में पूर्ण करना होगा। दिसंबर 2025 से ही पूरी मिलिंग प्रक्रिया की सतत निगरानी एवं समीक्षा करने के निर्देश प्रबंध संचालक को दिए।



