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भाजपा ने गुजरात में किया चैंकाने वाला फेरबदल, 16 से इस्तीफा लेकर 25 मंत्रियों को दिलाई पद की शपथ, इसमें 6 पुराने चेहरे भी शामिल

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गांधीनगर। गुजरात में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से दो साल पहले भाजपा ने सरकार में चैंकाने वाला फेरबदल कर दिया है। गुरुवार को भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व वाली सरकार से सभी 16 मंत्रियों से इस्तीफा लेने के बाद भाजपा को शुक्रवार को नई कैबिनेट का गठन कर दिया है। गांधीनगर के महात्मा मंदिर में हुए शपथग्रहण समारोह में 25 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई, जिनमें छह ऐसे चेहरे भी हैं जो पहले से ही मंत्रिमंडल का हिस्सा थे।

गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने 25 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई, जिसके बाद सीएम भूपेंद्र पटेल को मिलाकर मंत्रीपरिषद में 26 मंत्री हो गए हैं। पिछले साल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए विधायक अर्जुन मोढवाडिया को भी मंत्री बनाया गया है। विसनगर विधायक रुशीकेश पटेल, प्रफुल पनशेरिया, कुंवरजी बावलिया को फिर से मंत्रीपरिषद में शामिल किया गया है। हर्ष सांघवी राज्य के नए डिप्टी सीएम बनाए गए हैं।

इन विधायकों को मिली मंत्रिपरिषद में जगह
कनुभाई देसाई, पुरषोत्तम सोलंकी, नरेश पटेल, अहमदाबाद की पूर्व डिप्टी मेयर दर्शना वाघेला, गुजरात भाजपा एससी मोर्चा के पूर्व प्रमुख प्रद्युमन वाजा, मोरबी विधायक कांतिलाल अमरुतिया और वडोदरा विधायक मनीषा वाकिल को भी मंत्रिपरिषद में जगह मिली है। गुजरात भाजपा के पूर्व अध्यक्ष और भावनगर से विधायक जीतू वाघाणी, अमरेली से विधायक और भाजपा के डिप्टी चीफ व्हिप कौशिक वेकारिया, स्वरूपजी ठाकोर, टीकाराम छंगा, जयराम गमित, जामनगर उत्तर विधायक रिवाबा जडेजा, पीसी बारांदा, दाहोद विधायक रमेश कटारा, अंकलेशअवर विधायक इश्वरसिहं पटेल, दीसा विधायक प्रवीण माली, बारसोड विधायक रमनभाई सोलंकी, पेटलाद विधायक कमलेश पटेल, महुधा विधायक संजय सिंह महिदा को भी मंत्रिपरिषद में जगह मिली है।

2027 विधानसभा चुनाव के लिहाज से अहम है ये फेरबदल
गुजरात सरकार के मंत्रिपरिषद में यह फेरबदल भाजपा के मिशन 2027 के लिहाज से अहम माना जा रहा है। पार्टी आगामी निकाय चुनाव में नए सामाजिक समीकरणों को परखने की तैयारी कर रही है। पार्टी का मानना है, युवा विधायकों को मंत्रिपरिषद में शामिल करने से युवा नेताओं का हौसला और सरकार में ओबीसी-पाटीदार प्रतिनिधित्व बढ़ा है। आगामी चुनाव में भाजपा को इसका फायदा मिल सकता है।

विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा गुजरात में सुनिश्चित करना चाहती है कि पाटीदार समुदाय के साथ ओबीसी और शहरी वर्ग का संतुलन बना रहे। विश्लेषक मानते हैं कि चेहरे बदलकर भाजपा राज्य में लंबे समय से चल रही सरकार के प्रति होने वाली एंटी इनकंबेंसी को खत्म कर रही है।

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