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आतंकी ढांचे में खतरनाक प्रवृत्ति की शुरुआतः जैश-ए-मोहम्मद ने बनाई महिला ब्रिगेड, मसूद अजहर की बहन सादिया को मिली कमान

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नई दिल्ली। पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए पहली बार एक महिला आतंकी ब्रिगेड की स्थापना की है। इस ब्रिगेड का नाम ‘जमात-उल-मोमिनात’ रखा गया है। यह महिला ब्रिगेड कुख्यात आतंकी मसूद अजहर की बहन सादिया अजहर के नेतृत्व में काम करेगी। सादिया का पति यूसुफ अजहर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सुरक्षा बलों की सटीक कार्रवाई में मारा गया था। यह ऑपरेशन 7 मई को मरकज सुभानअल्लाह बहावलपुर में हुआ था।

सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम पाकिस्तान के आतंकी ढांचे में एक खतरनाक प्रवृत्ति की शुरुआत है। अब तक आईएसआईएस, बोको हराम, हमास और लिट्टे जैसे संगठन महिलाओं को आत्मघाती हमलों और लड़ाकू मिशनों में शामिल करते रहे हैं, लेकिन दक्षिण एशियाई आतंकी संगठन जैसे जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिद्दीन इससे परहेज करते आए थे। इस नई महिला ब्रिगेड के गठन की घोषणा खुद जैश प्रमुख और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित वैश्विक आतंकी मौलाना मसूद अजहर के नाम से जारी एक पत्र के माध्यम से की गई।

ब्रिगेट की भर्ती प्रक्रिया शुरू
यह पत्र जैश के प्रचार मंच ‘अल-कलम मीडिया’ पर प्रसारित किया गया है। पत्र में बताया गया है कि 8 अक्टूबर से पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित मरकज उस्मान-ओ-अली में इस ब्रिगेड की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह मरकज लंबे समय से जैश का प्रमुख ठिकाना रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान, जो पहले से ही दुनिया में आतंकवादियों के लिए सबसे सुरक्षित पनाहगाह माना जाता है, अब एक नया और चिंताजनक मोड़ ले रहा है। यह महिलाओं को आतंकवाद में शामिल कर अपनी आतंकी गतिविधियों का विस्तार करने की साजिश कर रहा है।

आॅपरेशन सिंदूर के बाद जैश ने विचारधारा में किया बदलाव
खुफिया सूत्रों ने बताया है कि पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों ने अब महिलाओं की अलग विंग बनाने का निर्णय लिया है ताकि भर्ती और संचालन का दायरा बढ़ाया जा सके। सूत्रों के अनुसार, ‘जमात-उल-मोमिनात’ में भर्ती के लिए जैश ने अपने कमांडरों की पत्नियों, रिश्तेदार महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर युवतियों को निशाना बनाया है, जो जैश के धार्मिक शिक्षण केंद्रों में पढ़ाई कर रही हैं। इन केंद्रों में बहावलपुर, कराची, मुझफ्फराबाद, कोटली, हरिपुर और मंसहरा जैसे शहर शामिल हैं। जैश-ए-मोहम्मद अब तक महिलाओं को सशस्त्र जिहाद या लड़ाकू अभियानों से दूर रखता था, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद संगठन ने अपनी विचारधारा में बड़ा बदलाव किया है।

नई रणनीति को सतर्क सुरक्षा एजेंसियां
जानकारी के अनुसार, मसूद अजहर और उसका भाई तल्हा अल-सैफ ने मिलकर इस महिला ब्रिगेड के गठन को मंजूरी दी है। यह निर्णय जैश की नई परिचालन संरचना का हिस्सा है। जैश का यह कदम इस बात का संकेत देता है कि वह महिला आत्मघाती दस्तों को प्रशिक्षित कर भविष्य के आतंकी अभियानों में इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है। क्षेत्रीय सुरक्षा एजेंसियां इस नई रणनीति को लेकर सतर्क हैं और इसे आतंकी संगठनों की भर्ती एवं कट्टरपंथीकरण प्रक्रिया में चिंताजनक विकास के रूप में देख रही हैं।

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