नई दिल्ली। जहरीली कप सिरप ने मध्यप्रदेश में 16 मासूमों को निगल लिया है। बच्चों की मौतों ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। हालांकि मासूमों की मौत से आहत सूबे के मुखिया डाॅ. मोहन यादव ने जिम्मेदारों पर सख्त एक्शन लिया है। एक ओर जहां सिरप को मप्र में बैन कर दिया है और डाॅक्टर संदीप सोनी को अरेस्ट कर लिया गया है। वहीं तीन अफसरों को निलंबित कर ड्रग्स कंट्रोलर को हटा दिया है। अब इस मामले में मानवाधिकार आयोग की एंट्री हो गई है।
एनएचआरसी ने नकली कफ सिरप पीने से 16 बच्चों की मौत के मामले मे मध्य प्रदेश और राजस्थान के स्वास्थ्य विभागों के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी किया। एनएचआरसी के सदस्य प्रियंक कानूनगो की अध्यक्षता वाली बेंच ने एक शिकायत पर संज्ञान लिया, जिसमें दवा सुरक्षा और नियामक तंत्र में गंभीर खामियों का आरोप लगाया गया था, जिसके कारण यह भीषण त्रासदी हुई। शिकायत में मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और बैतूल जिलों के साथ-साथ राजस्थान के कुछ जिलों में हुई घटनाओं में शीर्ष मानवाधिकार निकाय से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है, जहां कथित तौर पर खांसी की दवा पीने से बच्चों की मौत हो गई।
मप्र-यूपी और राजस्थान की सरकारों को जारी हुआ नोटिस
एनएचआरसी ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12 के तहत कार्रवाई करते हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकारों के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी किया है। उन्हें तुरंत जांच करने, कफ सिरप के नमूने एकत्र करने, क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में उनकी जांच कराने और नकली दवाओं की बिक्री पर तत्काल रोक लगाने का निर्देश दिया गया है।
नकली दवाओं की गहन जांच के निर्देश
एनएचआरसी ने भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को नकली दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला की गहन जांच करने का निर्देश दिया है। साथ ही, संबंधित राज्यों के सभी क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं को नमूने एकत्र करने और उनकी जांच करने का आदेश दिया गया है। एनएचआरसी ने कहा, सभी संबंधित राज्यों के मुख्य ड्रग्स कंट्रोलरों को नकली दवाओं पर तुरंत प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया जाता है। सभी अधिकारियों को दो सप्ताह के भीतर एनएचआरसी को अपनी कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) जमा करने के लिए कहा गया है, ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
शुरुआती जांच में नहीं मिले थे जहरीले पदार्थ
बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के शुरुआती परीक्षणों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल जैसे जहरीले पदार्थ नहीं मिले, जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं, लेकिन बच्चों की मौत का सटीक कारण अभी स्पष्ट नहीं है। कई मामलों में किडनी फेल होने और अन्य जटिलताओं की बात सामने आई है। शिकायतकर्ता ने इसे बच्चों के बुनियादी अधिकारों, जैसे जीवन, स्वास्थ्य और सुरक्षित दवाओं के अधिकार का उल्लंघन बताया है। शिकायत में कफ सिरप के निर्माण, वितरण, नियामक खामियों और संभावित मिलावट की विशेष जांच की मांग की गई है।