बिहार चुनाव से पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार दौरे पर रहते हुए आज दूसरे दिन भी वह चुनावी तैयारियों का जायजा लिया। इसी कड़ी में उन्होंने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की और चुनाव आयोग की तैयारियों के बारे में बताया।
उन्होंने बिहार के मतदाताओं का मैथिली भाषा में अभिवादन किया। वोटरों को आव्हान करते हुए ज्ञानेश कुमार ने कहा कि जैसे हम त्यौहारों को मनाते हैं, उसी तरह लोकतंत्र के पर्व को उत्सव के साथ मनाएं। उन्होंने लोगों से वोट करने के लिए कहा।
CEC ने कहा कि बिहार के 90217 बूथ लेवल ऑफिसर ने ऐसा काम किया, जो पूरे देश के लिए अनुकरणीय है। जैसे विश्व को बिहार की वैशाली ने ही गणतंत्र का रास्ता दिखाया था। वैसे ही बूथ लेवल ऑफिसर मिलकर देश को मतदाता सूची शुद्ध करने के लिए प्रेरणा का स्रात बनेंगे।
उन्होंने कहा कि बिहार में 243 विधानसभा सीट हैं। विधानसभा की काल अवधि 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रही है। इससे पहले ही चुनाव संपन्न होंगे। चुनाव आयोग की टीम सभी राजनीतिक दलों के साथ बैठक कर चुके हैं।
इसके अलावा सभी जिम्मेदार अधिकारियों के साथ भी बैठक हुई है। जहां तक चुनाव एक फेज में कराने की बात है, चुनाव आयोग जल्द निर्णय लेगा।
यह होंगे नवाचार
एक बूथ पर 1200 से ज्यादा वोटर नहीं होंगे, जिससे वोटिंग के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना होगा।
बूथ लेवल ऑफिसर के लिए भी फोटो आईडी कार्ड उपलब्ध कराया जाएगा।
सभी 90 हजार पोलिंग बूथ के कमरे के बाहर मोबाइल जमा कर वोट डालने की सुविधा होगी।
मतदाताओं को दी जाने वाली वोटर इन्फॉर्मेशन स्लिप में बूथ की संख्या और पता बड़े अक्षरों में होगा, जिससे बूथ ढूंढना आसान होगा।
ईवीएम पर प्रत्याशियों की रंगीन फोटो होगी। सीरियल नंबर का फॉन्ट भी बड़ा होगा।
काफी सालों बाद SIR पहली बार हुआ है, अब यह पूरे देश में लागू होगा।
अब पूरे देश में पोलिंग बूथ की 100 प्रतिशत वेब कास्टिंग होगी।
अब 100 मीटर की दूरी पर हर प्रत्याशी अपना बूथ लगा सकते हैं।
कितने लोगों ने वोट किया, इसकी जानकारी अब चुनाव खत्म होने के कुछ दिनों के भीतर ही मिल जाएगी
EVM की काउंटिंग में कोई भी गलती होगी, तो सभी VVPAT की गिनती होगी। इसी तरह बैलेट वोट की भी गिनती अनिवार्य होगी।
पहली बार बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) की ट्रेनिंग हुई। दिल्ली में 7000 बीएलओ और सुपरवाइजर का प्रशिक्षण संपन्न हुआ।
SIR पर विपक्ष के आरोपों का जवाब
उन्होंने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण पर विपक्ष के हमले का जवाब दिया। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि लोकप्रतिनिधित्व कानून के अनुसार प्रत्येक चुनाव से पहले मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कराना ही होता है। चुनाव के बाद इसकी समीक्षा करना कानून के अनुरूप नहीं होगा।
जब हमारे BLO ने घर-घर जाकर मतगणना की, इसके बाद सभी राजनीतिक दलों को दावा-आपत्ति करने की स्वतंत्रता थी। चूंकि हमारे BLO ने अच्छा काम किया था, इसलिए न ज्यादा दावे और न आपत्तियां आईं और आए भी तो नाम कटवाने के लिए।
अभी भी जुड़वा सकते हैं नाम
उन्होंने कहा कि अगर अभी भी किसी दल को लगता है कि किसी योग्य मतदाता का नाम छूट गया है, तो उसका नाम जोड़ा जा सकता है।
CEC ने कहा कि मतदाता सूची बनाने की जिम्मेदारी ERO की होती है। बिहार के 243 ERO और 90217 बूथ लेवल ऑफिसर ने मिलकर मतदाता शुद्धिकरण का काम किया।
अगर किसी का नाम वोटर लिस्ट में नाम नहीं आ पाया, तो इसके ऊपर DM से अपील की जा सकती है। अगर DM के फैसले पर भी आपत्ति है, तो चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर से अपील की जा सकती है।
पोलिंग एजेंट नियुक्त करें पार्टियां
हर मतदान केंद्र पर मतदान होने से पहले मॉक पोल होता है। इसमें प्रत्याशियों द्वारा नामित सदस्य के सामने EVM में पोलिंग होती है और VVPAT से इसका मिलान होता है। इसके बाद फॉर्म 17 भरा जाता है और पोलिंग एजेंट को दिया जाता है।
उन्होंने सभी प्रत्याशियों से अपने एजेंट जरूर नामित करने के लिए कहा। पोलिंग एजेंट वोटिंग शुरू होने से पहले पहुंचे और मॉक पोल अपनी आंखों से देखें। वोटिंग के बाद प्रीसाइडिंग ऑफिसर से फॉर्म 17 ले लें।
जिन लोगों के पास घर का नंबर नहीं होता है, तो उनके घर का नंबर शून्य लिख देते हैं या आसपास का नंबर दे देते हैं। ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि दावा-आपत्ति के लिए राजनीतिक दलों के BLA मौजूद होते हैं।
नई वोटर आईडी होंगी जारी
नए वोटर कार्ड को लेकर उन्होंने कहा जिन लोगों की वोटर आईडी कार्ड की एंट्री में बदलाव होगा। उन लोगों को सूची फाइनल होने के 15 दिन के भीतर नए वोटर कार्ड भिजवा दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि खर्च की लिमिट चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए हैं। हर जिले में एक खर्च अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं। क्रिमिनल रिकॉर्ड को लेकर भी हर प्रत्याशी को प्रक्रिया फॉलो करनी होगी।
आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं
SIR में आधार न लेने पर उन्होंने कहा कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट के कई आदेशों के तहत आधार जन्म का प्रमाण नहीं है। आधार एक्ट के तहत भी आधार न तो नागरिकता, जन्मतिथि और निवास का ही प्रमाण है।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हम इसे स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन कोर्ट ने भी कहा है कि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा।
सविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग मतदाता सूची तैयार करता है और अनुच्छेद 326 के तहत मतदान की पहली शर्त है कि वह भारत का नागरिक हो और उसकी उम्र 18 वर्ष से अधिक हो और बूथ के आसपास रहता हो, जिसके लिए आधार प्रमाण नहीं है। हालांकि आधार पहचान के लिए प्रमाण है।