सरकारी विभागों में काम न होने पर अपनी शिकायत सरकार तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई सीएम हेल्पलाइन कुछ लोगों के लिए अवैध वसूली का साधन बन गई है. अब सरकार ऐसे लोगों पर सख्ती करने जा रही है, जो इसका उपयोग ब्लैकमेलिंग के लिए कर रहे हैं.
सरकार ने लगातार शिकायतें कर अधिकारियों-कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने वालों पर शिंकजा कसने की तैयारी कर ली है. राज्य सरकार अब ऐसे शिकायतकर्ताओं का चिह्नित करने जा रही है, जो लगातार शिकायतें कर अफसरों-कर्मचारियों को ब्लैकमेल कर रहे हैं.
लोक सेवा प्रबंधन विभाग ने प्रदेश के सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि जिले में ऐसे शिकायतकर्ताओं की सूची तैयार की जाए, जो आदतन और झूठी शिकायतें दर्ज करा रहे हैं. इसके लिए राज्य शासन ने सभी कलेक्टरों को एक फॉर्मेट भी भेजा है, जिसमें शिकायतकर्ता का नाम, नंबर, उनके द्वारा अब तक दर्ज कराई गई शिकायतें और उस पर अधिकारियों की टिप्पणी दर्ज की जाएगी.
यह जानकारी अधिकारियों को अपनी लॉगिन आईडी के जरिए दर्ज करानी होगी. यह पहली बार है जब राज्य शासन ने आदतन शिकायतकर्ताओं की जानकारी मांगी है. इसके जरिए पता लगाया जाएगा कि जिलों में ऐसे कौन-कौन हैं, जो सरकार की इस योजना का दुरुपयोग कर रहे हैं.
सीएम हेल्पलाइन का उपयोग अधिकारियों या अन्य किसी संबंधित पर दबाव बनाने के लिए किए जाने के मामले सामने आ चुके हैं. मुख्यमंत्री मोहन यादव की बैठक में भी अधिकारियों द्वारा इसका मुद्दा उठाया जा चुका है. इसके बाद ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के लिए कहा गया. ऐसे मामलों में ब्लैकमैलिंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जा रही है.
ऐसा ही एक मामला इसी साल मई माह में खरगौन में सामने आया था. इसमें दो युवकों ने सरकारी गर्ल्स हॉस्टल की सुपरिटेंडेंट की सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत की थी. बाद में दोनों शिकायत वापस लेने के नाम पर 25 हजार रुपए मांगने लगे. शिकायत के बाद पुलिस ने दोनों युवकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की.
वहीं, झूठी शिकायतें करने वालों के खिलाफ तो सरकार ने कार्रवाई की तैयारी कर ली है, होनी भी चाहिए. लेकिन दूसरी तरफ इस प्रकार के भी तमाम केस आ रहे हैं कि अधिकारी खासकर पुलिस विभाग के लोग शिकायतकर्ता को भांति-भांति के तरीके से प्रताड़ित करते हैं. जबरन शिकायत क्लोज कराई जाती है. इसके अलावा सीएम हेल्पलाइन में भी कम विसंगतियां नहीं हैं. कई बार सही शिकायत करने वालों की शिकायत बिना निस्तारण के बंद कर दी जाती है.
सरकारी आदेश में शिकायतकर्ताओं को “ब्लैकमेलर” और “आदतन शिकायती” बताने पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार भी ग़जब है। प्रदेश की जनता की समस्याओं का समाधान करने में असफल रही तो अब शिकायतकर्ताओं को “ब्लैकमेलर” और “आदतन शिकायती” बताकर डराने तथा उनके नामों की सूची बनवाने का नया तरीका निकाल लिया है। श्री सिंघार ने कहा कि सच्चाई यह है कि पूरे मध्यप्रदेश में सीएम हेल्पलाइन पर हज़ारों शिकायतें अधिकारियों ने बिना समाधान किए जबरन फोर्स क्लोज कर दीं। इस आदेश की आड़ में अधिकारी यही चाहते हैं कि जो जागरूक नागरिक जनता की समस्याओं को लेकर शिकायत करें, उन्हें उल्टा केस में फँसाकर परेशान किया जा सके।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह आदेश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर सीधा प्रहार है। लोकतंत्र में यदि नागरिक अपनी समस्या सरकार को नहीं बताएगा तो किससे कहेगा?
असलियत यह है कि अधिकारी–कर्मचारी पैसों और दबाव के चलते शिकायतों पर झूठे जवाब दर्ज कर रहे हैं और उन्हें बंद करवा रहे हैं। शिकायतकर्ताओं की कुंडली बनाने के बजाय उन अधिकारियों की सूची तैयार की जानी चाहिए जिन्होंने गलत जवाब देकर शिकायतें जबरन फोर्स क्लोज कराईं। मध्यप्रदेश में ऐसे हज़ारों उदाहरण मौजूद हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मेरी माँग है कि मुख्यमंत्री तत्काल इस आदेश को वापस लें। सरकार जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए बनी है, न कि शिकायतकर्ताओं को ब्लैकमेलर घोषित करने के लिए।