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मप्र में बढ़ रही युवा आत्महत्या की दर, बेरोजगारी, आर्थिक संकट, पारिवारिक दबाव बड़ा कारण

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मध्यप्रदेश से एक ऐसा आंकड़ा सामने आ रहा है जो चौंकाने वाला है। इस आंकडे के सामने आने के बाद कई सवाल भी उठ रहे हैं।

दरअसल मध्य प्रदेश में 1 साल के दौरान 15 हजार से ज्यादा लोग आत्महत्या कर चुके हैं। मौत को गले लगाने कारण भी कोई नए नहीं है।

लेकिन ये आंकड़ा भयावह स्थिति को प्रकट कर रहा है। दवाब और कभी ग़म के बोझ तले लोग मौत को चुन रहे हैं और अनमोल जिंदगी को खत्म कर रहे हैं।

आंकड़े बता रहे हैं कि यह समस्या निजी नहीं बल्कि एक गंभीर सामाजिक मुद्दा भी है।  मप्र में 2024 में 15,491 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। इसकी सीधा सा अर्थ है कि हर दिन औसतन 42 लोग एक बार मिलने वाली वाली अनमोल जिंदगी से नाता तोड़ रहे हैं।

इन मौतों में सबसे  चिंताजनक जो बात है वो ये कि इनमें से लगभग 51 फीसदी लोग युवा हैं, जिनकी उम्र 18 से 35 साल के बीच हैं। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक  मध्यप्रदेश के इंदौर, सागर और भोपाल जैसे चमकते और व्यवसाय वाले बड़े शहर इस समस्या के प्रमुख केंद्र बन गए हैं।

वहीं  बेशकीमती जान खत्म करने की पीछे बेरोज़गारी, आर्थिक कठिनाई , प्रेम संबंध और परिवार का दबाव है।  लोग डिप्रेशन में जाकर भी ये घातक कदम उठा रहे हैं। रोजगार न मिलना, खराब आर्थिक स्थिति से पार पाने के लिए लोग वो कदम उठा रहे हैं जो खतरनाक स्थिति की ओर इशारा कर रहा है।

लिहाजा इस स्थिति से निपटने के लिए  सरकार को बड़े स्तर पर काम करने की जरुरत है और कुछ ऐसे अभियान चलाने की जरुरत है कि लोग अनमोल जिंदगी को खत्म करने से पहले एक बार जरुर सोचें!

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