मध्यप्रदेश में पुलिसकर्मियों के लिए बड़ी खबर है, अब जिले के पुलिस अधीक्षक और बटालियन के कमांडेंट सालाना 5 लाख रुपए तक कल्याणकारी गतिविधियों पर खर्च कर सकेंगे, जबकि पहले यह सीमा 2 लाख रुपए थी, लेकिन अब इसमें 3 लाख रुपए का इजाफा कर दिया गया है.
यह फैसला हाल ही में हुई राज्यस्तरीय संयुक्त पुलिस परामर्शदात्री समिति और पुलिस कल्याण समिति की बैठक में लिया गया है.
गौरतलब है कि यह बैठक करीब 6 साल बाद आयोजित की गई थी, जिसमें एमपी के पुलिसकर्मियों के लिए यह फैसला लिया गया है. बताया जा रहा है कि कर्मचारियों की बढ़ती जरूरत के हिसाब से यह बदलाव किया गया है.
इसके अलावा बैठक में एक और अहम फैसला लिया गया है, जिसमें पुलिसकर्मी के निधन पर परिवार को मिलने वाली परोपकार निधि की राशि भी अब 5 लाख रुपए हो गई है. हालांकि, इसके लिए पुलिसकर्मी को अपने महीने की सैलरी से 1200 रुपए कटवाने होंगे, अभी तक यह पैसा 600 रुपए ही कटता था, लेकिन अब इसमें 600 रुपए की बढ़ोत्तरी कर दी गई है. वहीं जो 5 लाख रुपए की राशि बढ़ाई गई है उसमें इकाई कल्याण निधि, कार्पस फंड, शिक्षा निधि, संकट निधि, परोपकार निधि और सामान्य कल्याण निधि से ली जा सकेगी। अधिकारियों को उम्मीद है कि इससे कर्मचारियों की बढ़ती जरूरतों को समय पर पूरा करने में आसानी होगी.
मध्य प्रदेश के सभी जिलों में एसपी-कमांडेंट के पास 5 लाख रुपए तक खर्च करने का अधिकार होगा, पुलिस कल्याण से जुड़ी अन्य योजनाओं जैसे पेट्रोल पंप, साख समिति, पीएचपीएस आदि पर भी बैठक में विस्तृत चर्चा की गई और सुधार के सुझावों पर विचार किया गया जाएगा. उसमें यह पैसा खर्चा किया जाएगा. इससे पुलिसकर्मियों को भी फायदा मिलेगा.
बैठक में पुलिस विभाग को आवंटित जमीनों के सीमांकन का निर्णय भी लिया गया है. इन जमीनों को आवासीय और अन्य भविष्य की योजनाओं के लिए सुरक्षित रखा जाएगा और अतिक्रमण से बचाव के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे.
यानि जिले में पुलिस के पास जो जमीन होगी उसकी भी रखवाली की जाएगी, ताकि भविष्य में पुलिस को उस जमीन का फायदा मिलेगा. माना जा रहा है कि राज्यस्तरीय संयुक्त पुलिस परामर्शदात्री समिति की बैठक में हुए यह फैसले राज्य के पुलिसकर्मियों के लिए अहम माने जाएंगे.