मध्य प्रदेश के 10 टाइगर उड़ीसा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ भेजे जाएंगे। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के निर्देश पर मध्य प्रदेश के टाइगर की अनुवांशिकता और कुनबा बढ़ाने यह निर्णय लिया गया।
मध्य प्रदेश ने उड़ीसा, राजस्थान और छत्तीसगढ़ टाइगर भेजने की तैयारी तेज कर दी है। इन राज्यों के अधिकारियों को टाइगरों की सुरक्षा और प्रबंधन का प्रशिक्षण देने के लिए पत्र लिखा है।
बांधवगढ़, पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व से करीब 10 टाइगरों का चयन कर छत्तीसगढ़, राजस्थान और ओडिशा भेजा जाएगा। इनमें नर-मादा टाइगरों की जोड़ी भी शामिल होगी, ताकि इन राज्यों में टाइगरों की संख्या बढ़ने के साथ ही जीन पूल भी सशक्त हो सके।
बांधवगढ़, पेंच और कान्हा टाइगर रिजर्व में टाइगर की संख्या तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में संख्या बढ़ने से क्षेत्र कम पढ़ रहा है, जिससे टाइगरों का टेरेटरी को लेकर संघर्ष भी बढ़ रहा हैं।
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) से मंजूरी मिलने के बाद यह प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। खास बात यह है कि ट्रांसलोकेशन पर आने वाला पूरा खर्च संबंधित राज्य ही वहन करेंगे। यह पहली बार है जब मध्यप्रदेश एक साथ इतने बड़े स्तर पर टाइगरों को बाहर भेजेगा।
वर्तमान में प्रदेश में 785 टाइगर हैं, जो देश में सबसे अधिक है और यही कारण है कि यहां से अन्य राज्यों को टाइगर उपलब्ध कराना संभव हो पाया है।
चयनित टाइगरों को अत्याधुनिक वाहनों में सुरक्षित तरीके से स्थानांतरित किया जाएगा। पूरी प्रक्रिया में अधिकृत पशु चिकित्सक मौजूद रहेंगे और हर चरण पर निगरानी रखी जाएगी, ताकि बाघों को किसी भी तरह की परेशानी न हो।
ट्रांसलोकेशन को सफल बनाने के लिए मध्यप्रदेश अक्टूबर 2025 में विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा। इसमें छत्तीसगढ़, राजस्थान और ओडिशा के वन अधिकारी मध्य प्रदेश आकर टाइगरों की देखभाल, ट्रैकिंग और संरक्षण से जुड़ी बारीकियां सीखेंगे। यह ट्रेनिंग सेशन भविष्य में भी इन राज्यों को अपने बाघों के बेहतर प्रबंधन में मददगार साबित होगा।