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आपरेशन सिंदूर: सीडीएस चौहान ने पर रांची में स्कूली बच्चों से किया संवाद, क्या कहा जानें

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रांची। आॅपरेशन सिंदूर को लेकर भारत के चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने गुरुवार को झारखंड राजभवन में स्कूली बच्चों से संवाद करते हुए कहा कि यह आॅपरेशन सेना के तीनों अंगों की अद्वितीय क्षमता, सूझबूझ और समन्वय का प्रमाण है। संवाद के दौरान सीडीएस ने बच्चों से सेना में करियर बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि फौज में भाई-भतीजावाद नहीं चलता, यह पूरी तरह प्रोफेशनल संस्था है।

आपरेशन सिंदूर को के बारे में बात करते हुए सीडीएस ने कहा कि सात मई को रात एक से डेढ़ बजे के बीच पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने का निर्णय काफी सोच-समझकर लिया गया था। आॅपरेशन के लिए यह समय इसलिए चुना गया ताकि सामान्य नागरिकों की जान-माल को नुकसान न पहुंचे। इसके लिए 7 मई और उसके आगे की तारीखें चुनने के पीछे की वजह यह थी कि इन तारीखों में मौसम पूवार्नुमान हमारे अनुकूल था। आसमान साफ था और इस वजह से हमें अपने लक्ष्य को भेदने में आसानी हुई।

तीनों सेनाओं ने संभाला मोर्चा
उन्होंने कहा, इस आॅपरेशन में सेना के तीनों अंग नेवी, आर्मी और एयरफोर्स शामिल थे। एयरफोर्स ने सटीक लक्ष्य साधा और हथियारों ने एक्यूरेसी के साथ काम किया। इस सफलता के पीछे गहन तैयारी, दूरी, एंगल और साइंस की गहरी समझ रही। आर्मी और नेवी ने जमीन से लेकर समुद्र तक मोर्चा संभाल रखा था। सीडीएस चौहान ने कहा कि इस बार हमने सिर्फ कार्रवाई नहीं की, बल्कि इसकी तस्वीरों और वीडियो के साथ दुश्मनों को पहुंचाए गए नुकसान का पुख्ता साक्ष्य भी इकट्ठा किया। बालाकोट आॅपरेशन में हम ऐसा नहीं कर पाए थे।

आॅपरेशन सिंदूर में बनाई अलग रणनीति
उन्होंने कहा कि हमने बालाकोट और उरी में जो आॅपरेशन किया था, आॅपरेशन सिंदूर में उससे अलग रणनीति अपनाई। दरअसल, हर सैन्य कार्रवाई में रणनीति नई होनी चाहिए। इस बार ड्रोन टेक्नोलॉजी का भी सफल इस्तेमाल हुआ। पाकिस्तान के बहावलपुर से 120 किलोमीटर दूर लक्ष्य पर निशाना साधना तकनीकी और पेशेवर दक्षता का परिचायक है।

छात्र जीवन का किया जिक्र
उन्होंने अपने छात्र जीवन का जिक्र करते हुए बताया कि वे सामान्य परिवार से आते हैं और कोलकाता के केंद्रीय विद्यालय से पढ़ाई की है। 11वीं कक्षा में पढ़ाई की तैयारी के दौरान सेना में जाने का निर्णय लिया। फौज में सफलता के लिए आईक्यू से ज्यादा जरूरी है ईक्यू, यानी इमोशनल क्वोशंट। टीमवर्क के बिना कोई उपलब्धि संभव नहीं होती।

इंडियन आर्मी पर जनता का विश्वास ऐसे ही नहीं बढ़ा
सीडीएस ने कहा कि भारतीय सेना पर जनता का विश्वास और सम्मान अचानक नहीं बना है, यह 1947 से चली आ रही गौरवशाली परंपरा और बलिदान का परिणाम है। उन्होंने बच्चों से कहा कि 2047 तक भारत को विकसित बनाने का लक्ष्य सिर्फ सरकार का नहीं बल्कि युवाओं का भी कर्तव्य है। आप मेहनत करेंगे तो देश नई ऊंचाई पर पहुंचेगा। मुझे युवाओं से मिलकर हमेशा लगता है कि भारत का भविष्य आपमें ही है। इस मौके पर झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ विशेष तौर पर उपस्थित रहे।

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