प्रमोशन में आरक्षण को लेकर राज्य सरकार की नई नीति का पेंच नहीं सुलझ रहा। मंगलवार को हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा व जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने सरकार से पूछा, जब पुरानी नीति का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो नई नीति क्यों लाई गई। पूछा- यदि शीर्ष कोर्ट ने यथास्थिति रखने कहा है तो नए नियम से प्रमोशन क्यों दिए जा रहे हैं?
यदि विचाराधीन याचिकाएं स्वीकार या निरस्त होती हैं तो, नए के तहत दी गई पदोन्नति पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन एवं महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने कहा, सामान्य प्रशासन से परिपत्र जारी कर वर्तमान स्थिति पर स्पष्टीकरण देंगे। कोर्ट ने कहा, अब स्पष्टीकरण आने के बाद ही सुनवाई करेंगे।
अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी। बता दें, कि मौखिक अंडरटेकिंग से अभी नई नीति से प्रमोशन रुके हुए हैं।
भोपाल की डॉ. स्वाति तिवारी व अन्य की याचिकाओं में मप्र लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 को चुनौती दी गई है। दलील दी गई कि 2002 के नियमों को हाई कोर्ट के द्वारा आरबी राय के केस में समाप्त किया जा चुका है।
इसके विरुद्ध मप्र शासन ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। इसके बावजूद मप्र शासन ने नाममात्र का शाब्दिक परिवर्तन कर जस के तस नियम बना दिए।