आईआईएसईआर भोपाल में अत्याधुनिक सुविधायुक्त‘ एनालिटिकल एंड बेनिफिशिएशन’ लैबोरेटरी स्थापित की जाएगी। इसका उपयोग सरकारी, शैक्षणिक और उद्योग बेनिफिशरीज संयुकत रूप से कर सकेंगे।
खनिज संसाधन विभाग के प्रधान सचिव उमाकांत उमराव और भू-विज्ञान एवं खनन निदेशालय के निदेशक फ्रैंक नोबल ए. के नेतृत्व में उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) भोपाल का भ्रमण किया।
यह दौरा कटनी ‘माइनिंग कॉन्क्लेव’ के दौरान हस्ताक्षरित एमओयू के अंतर्गत खनिज अन्वेषण, बेनिफिशिएशन और अनुसंधान में सहयोग को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया।
प्रतिनिधिमंडल ने राज्य सरकार की खनिज अनुसंधान संबंधी प्रमुख पहलों पर चर्चा के बाद एमओयू पर क्रियान्वयन प्रारंभ कर दिया है। इसके अंतर्गत संयुक्त कार्य समूह का गठन कर ग्रेफाइट, रॉक फॉस्फेट और वेनेडियम संसाधनों के लिए त्वरित और रैंकिंग आधारित मिनरल टार्गेटिंग मॉडल विकसित करने के लिये अन्वेषण और एआई/एमएल आधारित प्रॉस्पेक्टिविटी मैपिंग में सहयोग बढ़ाया जायेगा।
एनालिटिकल और बेनिफिशिएशन प्रयोगशाला की स्थापना आईआईएसईआर भोपाल में स्थापित की जाएगी। प्रशिक्षण और अनुसंधान के लिए क्षमता निर्माण के लिये अयस्क विशेषता, भू-स्थानिक मैपिंग और रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोगों में उन्नत प्रशिक्षण मॉड्यूल पर जोर दिया जायेगा।
प्रतिनिधिमंडल ने आईआईएसईआर के उन्नत अनुसंधान और परीक्षण सुविधाओं का भी दौरा किया, जिसमें न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (NMR) लैब, लेजर स्पेक्ट्रोग्राफी यूनिट्स और स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी सुविधाएं शामिल थीं। ये अत्याधुनिक संसाधन खनिज प्रसंस्करण, बेनिफिशिएशन, अनुसंधान और अन्वेषण विज्ञान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव श्री उमराव ने कहा कि यह सहयोग मध्यप्रदेश का विशेष रूप से राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन के इंफ्रास्ट्रक्चर के अंतर्गत देश के खनिज प्रसंस्करण और अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण योगदान सुनिश्चित करेगा।
आईआईएसईआर भोपाल के निदेशक प्रो. गोबर्धन दास ने कहा कि यह भविष्योन्मुखी सहयोग उद्योग और अनुसंधान में सशक्त इंटिग्रेशन का मार्ग प्रशस्त करेगा। आईआईएसईआर की उन्नत सुविधाएं और विशेषज्ञता, प्रदेश के खनिज संसाधनों के साथ मिलकर मध्यप्रदेश को खनिज विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए एक वैश्विक प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद करेंगी। यह दौरा शैक्षणिक–औद्योगिक–सरकारी साझेदारी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा और मध्यप्रदेश को क्रिटिकल मिनरल अनुसंधान और सतत संसाधन विकास के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करेगा।