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वायु प्रदूषण नियंत्रण में मप्र का दबदबा; इंदौर, देवास, जबलपुर अव्वल

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राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने में इंदौर, अमरावती और देवास शीर्ष प्रदर्शन करने वाले शहर बनकर उभरे हैं। वहीं, जबलपुर का भी दबदबा देखने को मिला है। मप्र का मान इन जिलों ने एक बार फिर से देश में बढ़ाया है।

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने X पर एक पोस्ट साझा करते हुए इस खुशखबरी के लिए प्रदेशवासियों को बधाई दी है। वहीं, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने यहां एक पुरस्कार समारोह में कहा कि कई शहरों ने औद्योगिक केंद्र होने या कोयला खदानें होने के बावजूद उल्लेखनीय प्रगति की है। इस मौके पर यादव ने 17 सितंबर से दो अक्तूबर के बीच 75 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य घोषित किया। उन्होंने घोषणा की है कि अगले वर्ष से शहरों में स्थित वार्ड का भी वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रयासों के लिए मूल्यांकन किया जाएगा और इसके लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।

मध्य प्रदेश के लिए खास बात यह है कि राष्ट्रीय स्तर के इस सर्वेक्षण में इंदौर ने 200 में से 200 अंक, जबलपुर ने 199 अंक और देवास ने 193 अंक प्राप्त किए हैं।

इंदौर के बाद जबलपुर दूसरे स्थान पर

दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इंदौर पहले स्थान पर रहा, उसके बाद जबलपुर (मध्य प्रदेश) का स्थान रहा।  यूपी के आगरा और गुजरात का सूरत संयुक्त रूप से तीसरे स्थान पर रहे। 3-10 लाख की आबादी वाले शहरों में मुरादाबाद और झांसी दूसरे स्थान पर तीन से 10 लाख जनसंख्या श्रेणी में अमरावती (महाराष्ट्र) प्रथम, झांसी (उत्तर प्रदेश) और मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) संयुक्त रूप से दूसरे स्थान पर रहे, जबकि अलवर (राजस्थान) तीसरे स्थान पर रहा। तीन लाख से कम आबादी वाले छोटे शहरों में देवास (मध्य प्रदेश) शीर्ष स्थान पर रहा, उसके बाद परवाणू (हिमाचल प्रदेश) और अंगुल (ओडिशा) ने जगह बनाई। यादव ने कोयला खदानों की मौजूदगी के बावजूद वायु गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने के लिए अंगुल को विशेष रूप से बधाई दी। वर्ष 2019 में शुरू एनसीएपी स्वच्छ वायु लक्ष्य निर्धारित करने वाली देश की पहली राष्ट्रीय पहल है, जिसका लक्ष्य 2017-18 को आधार वर्ष मानकर 2026 तक अति सूक्ष्म कण प्रदूषण में 40 प्रतिशत की कटौती करना है।

आर्द्रभूमि शहरों के रूप में इंदौर और उदयपुर को पुरस्कार पर्यावरण मंत्री ने रामसर संधि के तहत वेट लैंड यानी आर्द्रभूमि शहरों के रूप में अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करने के लिए इंदौर और उदयपुर को भी पुरस्कृत किया। यादव ने कहा कि भारत में रामसर स्थलों की संख्या 2014 में 25 से बढ़कर 2025 में 91 हो गई है। इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा, अगर जंगल फेफड़े हैं, तो झीलें गुर्दे का काम करती हैं। शहर की हवा खराब तो आपके फेफड़ों को नुसान होगा।

भूपेंद्र यादव पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के आयोजन में कहा, वायु प्रदूषण से मुकाबले के लिए एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हमें पुनर्चक्रण, पुन: उपयोग और चक्रीय अर्थव्यवस्था को अपनाना होगा। उन्होंने अन्य शहरों से इंदौर का अनुकरण करने का आग्रह करते हुए कहा, अगर आपके शहर की हवा खराब है, तो यह आपके फेफड़ों में प्रवेश करेगी। अपने शहरों को बचाने के लिए प्रयास करें।

स्वच्छ वायु रैंकिंग 2025

10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में – इंदौर पहले, जबलपुर दूसरे, आगरा और सूरत तीसरे स्थान पर।

3 से 10 लाख आबादी वाले शहरों में – अमरावती (महाराष्ट्र) पहले, झांसी और मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) दूसरे, अलवर (राजस्थान) तीसरे स्थान पर।

3 लाख से कम आबादी वाले छोटे शहरों में – देवास (मध्यप्रदेश) पहले, परवाणू (हिमाचल) दूसरे और अंगुल (ओडिशा) तीसरे स्थान पर।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस अवसर पर खुशी जाहिर की है। सीएम ने लिखा- केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव जी द्वारा आज नई दिल्ली में ‘स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2025’ में श्रेणी-1 के अंतर्गत इंदौर को प्रथम स्थान (₹1.5 करोड़ पुरस्कार राशि) एवं जबलपुर को द्वितीय स्थान (₹1 करोड़ पुरस्कार राशि) और श्रेणी-3 के अंतर्गत देवास को प्रथम स्थान (₹37.50 लाख पुरस्कार राशि) प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया है। राष्ट्रीय स्तर के इस सर्वेक्षण में इंदौर ने 200 में से 200 अंक, जबलपुर ने 199 अंक और देवास ने 193 अंक प्राप्त किए हैं। संपूर्ण भारत के लिए अत्यंत प्रेरणादायी यह सफलता तीनों शहरों के वासियों की स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति पवित्र सोच, अटूट संकल्प, जागरूकता और अद्वितीय जनभागीदारी को समर्पित है…सभी प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई!

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