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फिल्म समीक्षा:क्रूड वायलेंस से लैस एडल्ट फिल्म ‘बागी 4’

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ।

बागी 4  एक्शन थ्रिलर बागी सीरीज की चौथी कड़ी है। निर्देशक ए. हर्षा (कन्नड़ सिनेमा से हिंदी डेब्यू) ने इसे बनाया है, जिसमें टाइगर रॉनी के रोल में हैं—एक ऐसा किरदार जो ट्रेन दुर्घटना के बाद कोमा से उबरता है और अपनी खोई हुई मोहब्बत (हरनाज संधू) के लिए बदला लेने की जंग लड़ता है।

संजय दत्त विलेन हैं,  सोनम बाजवा और हरनाज संधू सहायक भूमिकाओं में हैं। फिल्म की कहानी 2013 की तमिल फिल्म ‘ऐंथु ऐंथु ऐंथु’ से प्रेरित है।

फिल्म रॉनी की जिंदगी के अंधेरे मोड़ से शुरू होती है, जहां वह दुःख और गुस्से में डूबा रहता है। रियलिटी और हैलुसिनेशन के बीच का कन्फ्यूजन स्टोरी को थोड़ा सस्पेंसफुल बनाता है, लेकिन दूसरी हाफ में यह एक्शन-हैवी हो जाती है। टाइगर का किरदार पहले से ज्यादा इंटेंस और ब्रूटल है, जो सीरीज के फैनबेस को टारगेट करता है। संजय दत्त का रोल एक साइकोपैथिक विलेन का है, जो रावण जैसा लगता है—महिला के लिए ऑब्सेस्ड।

टाइगर श्रॉफ एक्शन में कमाल हैं—सोमरसॉल्ट्स, हाई-किक्स और ब्लड-स्प्लैटर वाले स्टंट्स में उनकी फिटनेस चमकती है। इंटेंस सीन (जैसे कोमा से जागना या बदला लेना) में वे ठीक हैं, लेकिन इमोशनल डेप्थ की कमी महसूस होती है। हरनाज संधू (मिस यूनिवर्स) डेब्यू में चार्मिंग हैं, लेकिन एक्टिंग कच्ची हैं। एक्शन और VFX  अच्छे  है। फिल्म में क्रूड वायलेंस  ‘एनिमल’ स्टाइल) है—बीहेडिंग, स्लाइसिंग—लेकिन सेंसर ने 23 कट्स के बाद ‘A’ सर्टिफिकेट दिया। स्टंट्स रियल लगते हैं (टाइगर ने खुद किए), लेकिन ओवर-स्टाइलिश स्लो-मो से थकान होती है। दूसरी हाफ में एक्शन पीसेज अच्छे हैं, पर पहले हाफ में कम।

फिल्म में बिना मकसद के एक्शन है, जो दर्शकों को ढाई घंटे कोमा में डाले रखते हैं।

केवल टाइगर श्रॉफ के फैंस के लिए दर्शनीय !

 

 

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