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सीडीएस चौहान ने बताया भारत के लिए बड़ी चुनौती पाकिस्तान या चीन

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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को बताया कि पाकिस्तान और चीन में भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती कौन है?

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने गोरखपुर में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि चीन हमारे लिए सबसे बड़ी और पहली चुनौती है।

उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ पाकिस्तान का छद्म युद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है लेकिन चीन के साथ सीमा विवाद हमारे लिए पहली चुनौती है। उन्होंने आगे कहा कि इस्लामाबाद की रणनीति हमेशा से ‘भारत को हजार जख्म देकर लहूलुहान करने’ की रही है।

सीडीएस अनिल चौहान ने 5 बड़े चैलेंज के बारे में बात करते हुए कहा कि मैं चीन के साथ अनसुलझे सीमा विवाद को सबसे बड़ी चुनौती मानता हूं। दूसरी बड़ी चुनौती पाकिस्तान द्वारा भारत के विरुद्ध चलाया जा रहा छद्म युद्ध है।

पाकिस्तान की रणनीति भारत को हजार जख्म देकर लहूलुहान करने की रही है। इसका मतलब है कि नियमित अंतराल पर भारत को धीरे-धीरे चोट पहुंचाते रहो और देश में खून बहाना जारी रखो।

सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने गोरखपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद भारत और पाकिस्तान ने अलग-अलग सबक सीखे।

भारत ने जहां लंबी दूरी तक मार करने वाले प्रिसिजन हथियार और हमले के बाद नुकसान का आकलन करने की क्षमता पर ध्यान दिया, वहीं पाकिस्तान ने संभवतः अपनी एयर डिफेंस प्रणाली को मजबूत करने पर फोकस किया।

जनरल चौहान ने याद दिलाया कि 2016 में उरी हमले के बाद भारतीय सेना ने जमीनी रास्ते से पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के कैंप तबाह किए। 2019 पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने खैबर पख्तूनख्वा में एयरस्ट्राइक की थी।

हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के पास पहले से ही और बेहतर प्रिसिजन स्ट्राइक क्षमता मौजूद थी।

उन्होंने कहा कि जब राजनीतिक नेतृत्व से चर्चा हुई तो यह साफ हो गया कि सिर्फ ड्रोन और लोटरिंग म्यूनिशन (घूमते हुए लक्ष्य तलाशने वाले हथियार) से लक्ष्य हासिल नहीं होगा।

बहावलपुर और मुरिदके में आतंकी ठिकाने तबाह करने के लिए एयर पावर का इस्तेमाल जरूरी था।

सीडीएस चौहान ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सरकार ने सेना को साफ निर्देश दिए थे कि आतंकी ठिकाने नष्ट करने हैं और तभी जवाबी कार्रवाई करनी है जब पाकिस्तान हमला करे।

इस ऑपरेशन में सेना को पूरी आजादी मिली थी, चाहे वो योजना बनाना हो या लक्ष्य चुनना।

 

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