सीहोर। सीहोर जिले के कुबेरेश्वर धाम में मंगलवार को दर्दनाक हादसा हो गई। सावन मास में पं. प्रदीप मिश्रा की कांवड़ यात्रा में शामिल होने आई भारी भीड़ का दबाव बढ़ने से भगदड़ मच गई है। इस घटना में जहां दो महिलाओं की मौत हो गई है। वहीं एक दर्जन के करीब घायल हुए हैं। मृतक महिलाओं की उम्र 50 के आसपास बताई जा रही है। यह कहां की रहने वाली हैं प्रशासन इसकी पहचान करने की कोशिश कर रहा है। वहीं घायलों को इलाज के लिए तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बता दें कि सावन मास में पं. प्रदीप मिश्रा के नेतृत्व में 6 अगस्त को निकलने वाली भव्य कांवड़ यात्रा से पहले ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। मंगलवार को रुद्राक्ष वितरण के दौरान अफरा-तफरी मच गई, जिसमें दो महिलाओं की दबकर मौत हो गई जबकि करीब एक दर्जन श्रद्धालु घायल हो गए। घायलों में दो की हालत गंभीर बताई जा रही है।रुद्राक्ष वितरण के दौरान अचानक व्यवस्था बिगड़ने से भीड़ बेकाबू हो गई। पुलिस और प्रशासन की तमाम तैयारियों के बावजूद श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को नियंत्रित नहीं किया जा सका।
महिलाओं ने अस्पताल में घोषित किया गया मृत
घायलों को जिला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने दो महिलाओं को मृत घोषित कर दिया। मृतकों की उम्र लगभग 50 वर्ष बताई गई है, हालांकि उनकी पहचान अब तक नहीं हो सकी है। बताया जा रहा है कि देशभर से दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, सूरत और बेंगलुरु जैसे शहरों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु सीहोर पहुंचे हैं। शहर की सभी धर्मशालाएं, होटल और लॉज पहले ही फुल हो चुके थे। भारी भीड़ के कारण धाम पर ठहरने, भंडारे और दर्शन की व्यवस्थाएं पूरी तरह चरमरा गईं।
प्रशासन की तैयारियों पर उठनले लगे सवाल
घटना पर एएसपी सुनीता रावत ने बताया कि यह भगदड़ नहीं थी, बल्कि रुद्राक्ष वितरण रुकने के बाद श्रद्धालुओं की भीड़ में धक्का-मुक्की हुई, जिससे दो महिलाओं की मौत हुई और कुछ अन्य घायल हुए हैं। घटना के बाद श्रद्धालुओं में भारी नाराजगी देखी जा रही है और प्रशासन पर लापरवाही के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं इस हादसे के बाद श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और गर्मी-उमस की स्थिति को देखते हुए प्रशासन की तैयारियों पर सवाल भी उठने लगे हैं।
प्रशासन ने चाक चैबंद इंतजामों का किया था दावा
प्रशासन ने 400 पुलिसकर्मियों की तैनाती और चाक-चैबंद इंतजामों का दावा किया था, जिनमें 4 डीएसपी, 7 टीआई और 30 सब-इंस्पेक्टर शामिल थे। बावजूद इसके, हादसे के समय न तो भीड़ नियंत्रण किया जा सका और न ही मेडिकल टीमें समय पर पहुंच पाईं। एक दिन पहले ही अपर कलेक्टर वृंदावन सिंह और एसडीएम तन्नय वर्मा ने धाम का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया था। लेकिन हादसे ने इन तैयारियों की पोल खोल दी।