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शहडोल में बाल-बाल बचे बच्चे, स्कूल की छत का हिस्सा गिरा

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मध्य प्रदेश में शनिवार को राजस्थान के सरकारी स्कूल जैसा हादसा होते-होते रह गया। शहडोल के बोडरी ग्राम पंचायत के शासकीय प्राथमिक स्कूल सेहराटोला की छत का एक बड़ा हिस्सा टूटकर गिर गया है। घटना के समय कमरे में बच्चे और शिक्षक मौजूद थे और कक्षाएं चल रही थी।

विद्यार्थी इधर-उधर उठकर भागने लगे। गनीमत रही किसी को गंभीर चोट नहीं आई। इस घटना का वीडियो भी सामने आया है। जानकारी के अनुसार, यह विद्यालय भवन 1999-2000 में बना था। लगभग 25 वर्ष पुराना हो चुका है। वर्तमान में कक्षा एक से पांचवीं तक के 33 बच्चे यहां पढ़ाई कर रहे हैं।

पिछले साल शिक्षकों ने छत में आई दरारों की मरम्मत कराई थी और विभागीय अधिकारियों को लिखित रूप में चेतावनी भी दी थी कि जर्जर भवन से कभी भी हादसा हो सकता है। इसके बावजूद न तो कोई ठोस मरम्मत कार्य हुआ और न ही नए भवन के निर्माण के लिए कदम उठाए गए।

स्कूल के शिक्षक अमर पटेल ने कहा कि हमने पिछले साल ही चेतावनी दी थी कि यह भवन सुरक्षित नहीं है। हमें उम्मीद थी कि विभाग इस पर ध्यान देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। कक्षा में मौजूद बच्चों के माता-पिता भी इस घटना के बाद चिंतित हैं।

लगातार बारिश का दौर चल रहा है और ऐसे में भवन को और क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है। एक अभिभावक ने बताया कि हम अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर बेहद चिंतित हैं। स्कूल प्रशासन को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए।

वही बीआरसी सोहागपुर के महेंद्र कुमार मिश्रा ने कहा कि इस घटना की जानकारी मिली है और हम आवश्यक कदम उठाएंगे। हमें निर्देश हैं कि जर्जर भवनों की कक्षाएं सुरक्षित निजी स्थानों पर संचालित की जाएं। शिक्षा विभाग ने अब हालात को गंभीरता से लेते हुए कक्षाओं को एक निजी मकान में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया है।

उल्लेखनीय है कि जिले में इस तरह के आधा सैकड़ा जर्जर भवन चिन्हित हैं। इसके बावजूद इन भवनों में मरम्मत या नव निर्माण नहीं कराया गया और कक्षाएं लग रही हैं, जो कभी भी खतरनाक स्थिति पैदा कर सकती हैं। वर्षा सीजन के पहले नई दुनिया ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था और विभागीय अधिकारियों ने यह दावा किया था कि खनिज प्रतिष्ठान मद से स्कूल भवनों के निर्माण की तैयारी है, लेकिन अभी तक कहीं किसी स्कूल में कुछ नहीं हुआ। विभागीय लापरवाही के कारण खतरे के बीच विद्यार्थी सरकारी स्कूलों में अध्ययन करने को मजबूर है।

 

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