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शराब घोटाले में भूपेश बघेल पर ईडी का फिर एक्शन, राडार में रहा बेटे का घर

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रायपुर। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। भ्रष्टाचारी चाहे छोटा हो या फिर किसी को नहीं बख्शा जा रहा है। इस लिस्ट में राज्य के पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी शामिल हैं। मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कथित शराब घोटाले से जुड़े एक मामले में ईडी का एक्शन जारी है। ईडी ने शुक्रवार को एक बार फिर भूपेश बघेल के ठिकानों पर दबिश दी है। एजेंसी की टीम ने सुबह करीब 6.30 बजे बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के भिलाई स्थित आवास पर छापेमारी की है। ईडी ने सीआरपीएफ के सुरक्षा घेरे में चैतन्य की घर की तलाशी शुरू की।

सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई शराब घोटाले और उससे जुड़ी आर्थिक गड़बड़ियों की जांच के तहत की गई है. फिलहाल जांच जारी है और अधिकारियों की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। वहीं दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा के लिए रवाना हो गए हैं। ईडी की कार्रवाई के बीच पूर्व मुख्यमंत्री रायपुर के लिए अपने निजी निवास से रवाना हुए हैं। गौरतलब है कि भूपेश आमतौर पर विधानसभा सत्र के दौरान वह रायपुर में रहते हैं, लेकिन इस बार वह भिलाई में ही मौजूद थे- जहां ईडी की टीम पहुंची।

ईडी के एक्शन पर यह बोले बघेल
भूपेश बघेल ने एक्स पर पोस्ट साझा कर जानकारी देते हुए लिखा कि ईडी आ गई है। आज विधानसभा सत्र का अंतिम दिन है। अडानी के लिए तमनार में काटे जा रहे पेड़ों का मुद्दा आज उठना था। भिलाई निवास में साहेब ने ईडी भेज दी है। वहीं भूपेश बघेल के समर्थक ईडी के एक्शन से भडक गए हैं। समर्थकों ने बैरिकेडिंग को हटाने की मांग की। साथ ही समर्थकों ने बैरिकेडिंग को गिराया।

शराब घोटाले में अब तक क्या-क्या हुआ?
7 जुलाई को आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) ने शराब घोटाले में चैथी सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की, जिसमें घोटाले की अनुमानित राशि को 2,161 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3,200 करोड़ रुपये बताया गया. यह चार्जशीट 30 जून को दाखिल की गई थी. इस मामले में बीती 11 जुलाई को छत्तीसगढ़ सरकार ने आबकारी विभाग से जुड़े एक बहुचर्चित मामले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की। कुल 22 अधिकारियों को निलंबित किया। यह कार्रवाई पूर्ववर्ती भूपेश सरकार के दौरान हुए 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच के आधार पर की गई है।

वर्ष 2019 से 2023 के बीच हुए इस घोटाले में आबकारी विभाग के इन अधिकारियों की संलिप्तता पाई गई थी, जिन्होंने अवैध रूप से अर्जित धन से संपत्तियां बनाई थी। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की गहन जांच से यह स्पष्ट हुआ कि यह एक संगठित सिंडिकेट के रूप में संचालित घोटाला था। जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर सरकार ने तत्क्षण कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों को निलंबित कर दिया।

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