भोपाल। राजधानी में नए इलाके की आबादी का सबसे बडा सरकारी चिकित्सा केंद्र जेपी अस्पताल का बहुप्रतीक्षित 5 मंजिला नया भवन इस महीने की तीस तारीख को अस्पताल प्रशासन को सौंपा जाना तय हो गया है, लेकिन अभी इसकी उम्मीद इसलिये पुख्ता नहीं क्योंकि यह तीसरी बार है जब डेडलाइन तय की गई है, और कहा जा रहा है कि एक बार फिर, यह भवन अधूरा ही मिलने वाला है। इस लेटलतीफी का सीधा खामियाजा उन दिल के मरीजों को भुगतना पड़ेगा जिन्हें सरकारी इलाज की सबसे ज्यादा जरूरत है।
वहीं स्वास्थ्य महकमे ने अस्पताल में बनने वाली मॉडर्न कार्डियक यूनिट के पूरे प्रोजेक्ट को ही रद्द कर दिया है। जबकि 2023 में विभाग ने जेपी अस्पताल में 30 बेड की एक एडवांस कार्डियक यूनिट बनाने का प्रस्ताव मंजूर किया था। इसे अप्रैल 2024 तक शुरू किया जाना था, लेकिन बार-बार प्रोजेक्ट में देरी होती गई और इसके साथ ही इसकी लागत भी बढ़ती गई। इस बेहिसाब देरी और लागत वृद्धि का नतीजा यह हुआ कि कैथलैब (दिल से जुड़े आॅपरेशनों के लिए एक विशेष आॅपरेशन थिएटर) के लिए जरूरी मशीनों का टेंडर खुलने के बाद भी, इस पूरे प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया गया।
जानकारी के मुताबिक इस यूनिट में मॉडर्न कैथ लैब के साथ-साथ दिल की जटिल सर्जरी के लिए जरूरी सभी उपकरण होने का दावा किया गया था, लेकिन अब यह सब खत्म सा लग रहा है। इस प्रोजेक्ट के रद्द होने से सबसे ज्यादा असर गरीब और जरूरतमंद मरीजों पर होगा। दिल से जुड़ी जांचें और आॅपरेशन, जो सरकारी अस्पताल में बेहद कम या मुफ्त में होते हैं, अब उन्हें निजी अस्पतालों में लाखों रुपए खर्च करके करवाने पड़ेंगे।
कार्डियक यूनिट की बिल्डिंग बनी, मशीनें भी तय…
बताया जाता है कि सरकार ने तकनीकी कारण बताकर यहां बनने वाली बहुप्रतीक्षित सुपर स्पेशलिटी कार्डियक यूनिट का कैथलैब टेंडर निरस्त किया है। यह वही यूनिट थी, जिसके लिए नए अस्पताल भवन के दो फ्लोर का ब्लॉक तैयार किया है। बावजूद अब यहां एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की सुविधा शुरू नहीं हो पाएगी। ओपन हार्ट सर्जरी के लिए जो आॅपरेशन थिएटर बना है, वहां सामान्य आॅपरेशन होंगे। 50 बेड के कार्डियक आईसीयू की जगह सामान्य आईसीयू के मरीज रहेंगे। वहीं ट्रेडमिल, ईको, कलर डॉप्लर जैसे एडवांस्ड टेस्ट भी नहीं हो पाएंगे। उल्लेखनीय है कि डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने जनवरी में कहा था कि जेपी हॉस्पिटल में मार्च 2025 तक कैथ लैब और हृदय उपचार संबंधी सुविधाओं का कार्य पूरा कर लिया जाएगा तथा 100 बिस्तरों की हृदय उपचार यूनिट स्थापित की जाएगी।
एम्स और हमीदिया से कम नहीं होगा दबाव
अभी भोपाल में इस वक्त सिर्फ एम्स और हमीदिया ही ऐसे अस्पताल हैं जहां कार्डियक यूनिट है। लेकिन दोनों ही अस्पतालों की हालत यह है कि एक-एक मरीज को ओपीडी में घंटों लाइन में लगना पड़ता है। जेपी में अब यूनिट न बनने से हजारों हार्ट पेशेंट्स को निजी अस्पतालों का रुख करना होगा, जहां इलाज का खर्च लाखों में पहुंच जाता है। हालांकि जेपी की कार्डियक यूनिट का प्रोजेक्ट बिना कोई ठोस कारण निरस्त करना सवालिया घेरे में है। अभी जेपी अस्पताल में 400 बेड हैं, और नए भवन के शुरू होने के बाद 240 और बेड जुड़ जाते। इससे कुल संख्या 640 हो सकती थी। हालांकि कहा जा रहा है कि संभव है कि सरकार की तरफ से कोई फिर इसके लिये नया प्रोजेक्ट लाया जाए।