भोपाल। गेहूं खरीदी को हाईटेक बनाने के दावे फिर खोखले निकले। रायसेन, नर्मदापुरम और उज्जैन जैसे 22 जिलों में गड़बड़ी सामने आ चुकी है। इन जिलों के केंद्रों पर खरीदा गया 4 से 6 लाख क्विंटल गेहूं गोदामों में नहीं पहुंचा। इस गेहूं के खराब होने, भींगने का अंदेशा है। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि सरकारी खरीदी के नाम पर इन जिलों के केंद्रों ने घटिया गेहूं खरीद लिया, जो अब गोदामों में जमा करने से इंकार किया जा रहा है।
उक्त गेहूं की खरीदी 15 मार्च से 5 मई के बीच हुई थी, जो गोदामों में नहीं पहुंचाया गया तो खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अफसरों ने खोजबीन शुरू की। जब पता नहीं चला तो आयुक्त खाद्य ने 22 जिलों के कलेक्टरों को फटकार लगाते हुए गुरुवार शाम तक गेहूं गोदामों में जमा कराने को कहा है। जब तक गेहूं गोदामों में जमा कराया जाकर स्वीकृति पत्रक जारी नहीं हो जाता तब तक उक्त गेहूं को बेचने वाले किसानों को भुगतान नहीं होगा। गड़बड़ी करने वाले 22 जिलों में रायसेन, उज्जैन, नर्मदापुरम के अलावा सागर, सतना, कटनी, पन्ना, मैहर, जबलपुर, रीवा श्योपुर, दतिया, सिवनी, सीधी, मंडला, टीकमगढ़, सिंगरौली, भिंड, छतरपुर, उमरिया, शहडोल, रायसेन व अशोकनगर जिले में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है।
सूत्रों के मुताबिक खरीदी का स्टैंडर्ड तय है, लेकिन कुछ जिलों के खरीदी केंद्रों में अफसरों द्वारा सरकार से मिलने वाले कमीशन की अधिक राशि पाने के लिए घटिया गेहूं भी खरीदा गया। चूंकि खरीदा गया गेहूं वेयर हाउसिंग लॉजिस्टिक कापोर्रेशन व अनुबंधित गोदामों में जाम करना होता है। सूत्रों के मुताबिक अब उक्त गेहूं गोदाम वाले जमा करने से मना कर रहे हैं, क्योंकि एक बार गेहूं गोदामों में जाम हो जाए तो पूरी जिम्मेदारी वेयर हाउसिंग लॉजिस्टिक कॉपोर्रेशन की होती है। पूर्व के वर्षों में कई अफसर घटिया गेहूं खरीदकर सरकारों को नुकसान पहुंचवा चुके हैं तो वेयर हाउसिंग कापोर्रेशन को भी हजारों करोड़ का चूना लग चुका है। सवाल ये भी उठ रहे हैं कि कई बार केंद्रों पर खरीदे जाने वाले गेहूं की गुणवत्ता अच्छी होती है, लेकिन उसमें कमियां बताकर गोदाम वाले जमा करने से आनाकानी करते हैं। इसी में गेहूं गीला हो जाता है।