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भोपाल के VVIP इलाके में बनी मजार से भड़के हिन्दू संगठन, प्रशासन से की यह मांग, बनी है सरकारी मकान के आंगन में

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भोपाल। राजधानी भोपाल के वीवीआईपी एरिया के एक सरकारी मकान के आंगन में बनी मजार को लेकर बवाल खड़ा हो गया है। मामला 1250 क्वार्टर का है। जिसको लेकर हिन्दू संगठनों ने मोर्चा खोल दिया यही नहीं, मजार को लैंड जिहाद करार देते हुए जिला प्रशासन से स्थिति स्पष्ट करने और आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। हिंदू संगठनों के मुताबिक, यह मजार हाल में बनाई गई है।

बता दें कि यह एरिया वीवीआईपी लोगों के निवास स्थानों से बेहद नजदीक है। यहां पर मंत्रियों, आईएएस अधिकारियों और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उपमुख्यमंत्री समेत एक दर्जन से अधिक मंत्रियों के सरकारी आवास हैं। वहीं मजार इन आवासों से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि सरकारी मकान में इस तरह का निर्माण होने के बावजूद प्रशासन और अधिकारियों ने पहले कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई?

आंदोलन की दी चेतावनी
संस्कृति बचाओ मंच के संयोजक चंद्रशेखर तिवारी ने दावा किया कि यह मजार हाल ही में बनाई गई है और इसे सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का हिस्सा बताया। उनका कहना है कि अवैध निर्माण पर प्रशासन तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। वहीं उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इसकी जांच कर इसे हटाना चाहिए, वरना हम आंदोलन करेंगे। वहीं, दूसरी ओर स्थानीय निवासियों का दावा है कि यह मजार कई वर्षों से मौजूद है और यहां रहने वाले एक परिवार द्वारा इसका संरक्षण किया जाता रहा है। आसपास रहने वाले कुछ निवासियों ने बताया कि यह मजार पुरानी है और इसे एक मुस्लिम परिवार ने बनाया था, जो इस सरकारी मकान में रहता है।

90% सरकारी मकान, फिर भी सिस्टम की चुप्पी
1250 क्वार्टर इलाके में करीब 90% मकान सरकारी हैं, जहां क्लास वन अधिकारी से लेकर बाबू स्तर के कर्मचारी रहते हैं। ऐसे में एक सरकारी मकान के आंगन में मजार का होना सवाल खड़े करता है। हिंदू संगठनों ने जिला प्रशासन को शिकायत सौंपी है। जिला प्रशासन को सौंपी गई शिकायत में जिसमें पूछा गया है कि सरकारी जमीन पर यह मजार कैसे बनी? यदि यह पुरानी है, तो इसके आसपास सरकारी इमारतें कैसे बन गईं? और यदि नई है, तो प्रशासन ने इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की? इन सभी बिंदुओं की जांच कर स्पष्टता लाने की मांग की गई है। अधिकारियों का कहना है कि मामले को गंभीरता से लिया गया है और संबंधित विभागों से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई है।

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