मुर्शिदाबाद। वक्फ कानून के विरोध में पिछले दिनों पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जमकर बवाल कटा था। उपद्रवियों ने हिंसा के दौरान घरों, दुकानों और दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। यही नहीं, उपदवियों ने ऐसे हालात निर्मित कर दिए है कि मुर्शिदाबाद के लोग पलायन के लिए मजबूर हो गए हैं। यहां के धुलियान से करीब 500 लोग अपना घर वार छोड़कर पलायन कर गए हैं। अब इस हिंसा से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल हिंसा के पीछे एसडीपीआई का हाथ हो सकता है। इसके अलावा बांग्लादेश से जुड़े चरमपंथी संगठनों की भूमिका भी जांच के दायरे में है।
पुलिस की जांच में पता चल रहा है कि एसडीपीआई सदस्यों ने पिछले कई दिनों से इलाके में मुस्लिम समाज के युवाओं को वक़्फ के नाम पर भड़काना शुरू कर दिया था। एसडीपीआई के सदस्य इलाके में घर-घर जाकर जाकर वक़्फ संशोधन के खिलाफ आंदोलन के लिए युवाओं और बच्चों को भड़का रहे थे। मुस्लिम समाज के इन युवाओं और बच्चों को कहा जा रहा था कि सरकार वक़्फ के नाम पर मुसलमानों का सब कुछ छीन लेगी, इसके लिए आंदोलन करना होगा। इस दौरान तरह-तरह की भड़काऊ और उकसाने वाली बातें कही जा रही थीं। यही नहीं, हिंसा में घायल इजाज अहमद की मौत के बाद उनके परिजनों ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है कि एसडीपीएआई की तरफ से मुर्शिदाबाद में मुहिम चलाई जा रही थी।
हिंसा में बड़ी संख्या में बाहर के लोग भी थे शामिल
पुलिस के मुताबिक, हिंसा में स्थानीय लोगों के अलावा बड़ी संख्या में बाहर से भी लोग आए थे। हिंसा पूर्व नियोजित भी लग रही है क्योंकि बीते शुक्रवार को जब घटना हुई तो सबसे पहले मुर्शिदाबाद के सूती में विरोध प्रदर्शन के दौरान नेशनल हाईवे जाम किया गया और यहीं पर पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प शुरू हो गई। इसी के ठीक बाद श्मशेरगंज में भीड़ ने हिंसा और आगजनी शुरू की। पुलिस सूती में प्रदर्शनकारियों के साथ उलझी रही और यहां से महज दस किलोमीटर दूर शमशेरगंज में भीड़ ने तांडव मचाना शुरू किया।
चुन-चुन कर हिन्दू दुकानों और घरों को बनाया गया निशाना
सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया और चुन चुन कर हिंदू दुकानों और घरों को निशाना बनाया गया। जंगीपुर से निकली बड़ी फोर्स सूती में अटक कर रह गई और शमशेरगंज में तांडव चलता रहा। वहीं, छानबीन में हिंसा के पीछे बेहद युवा और बहुत सारे नाबालिग लड़कों की उन्मादी भीड़ की हिस्सेदारी सामने आ रही है। हिंसा करनेवालों की उम्र 10 साल से 20 साल के बीच थी और ये हिंसक भीड़ काफी ज्यादा थी। हिंसा की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, उनसे बिल्कुल साफ है कि छोटी उम्र के बच्चों और युवाओं ने हिंसा को अंजाम दिया।