नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को नवकार महामंत्र दिवस में शामिल हुए। पीएम ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में नवकार महामंत्र का जाप किया। इस दौरान पीएम की सादगी भी देखने को मिली। श्रद्धा के प्रतीक नवकार महामंत्र कार्यक्रम में पीएम बिना जूते पहने पहुंचे। साथ ही वो डायस पर नहीं बल्कि सभी लोगों के साथ बैठे। इसके बाद उन्होंने लोगों को संबोधित भी किया। इस दौरान उन्होंने सबसे पहले 9 संकल्पों पर बात की।
उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र का ये दर्शन विकसित भारत के विजन से जुड़ता है। मैंने लालकिले से कहा है- विकसित भारत यानी विकास भी, विरासत भी। एक ऐसा भारत जो रुकेगा नहीं, ऐसा भारत जो थमेगा नहीं। जो ऊंचाई छुएगा, लेकिन अपनी जड़ों से नहीं कटेगा। उन्होंने कहा साथियों जब आज इतनी बड़ी संख्या में नवकार महामंत्र का जाप किया तो मैं चाहता हूं सब ये 9 संकल्प लेकर जाएं। मैं नवकार महामंत्र की आध्यात्मिक शक्ति को अब भी अपने अंदर अनुभव कर रहा हूं। इसलिए आप लोगों से यह कह रहा हूं।
‘इस मंत्र का प्रत्येक पद ही नहीं, बल्कि प्रत्येक अक्षर अपने आप में मंत्र’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘…नवकार महामंत्र सिर्फ मंत्र नहीं है। ये हमारी आस्था का केंद्र है। हमारे जीवन का मूल स्वर… और इसका महत्व सिर्फ आध्यात्मिक नहीं है। ये स्वयं से लेकर समाज तक सबको राह दिखाता है, जन से जग तक की यात्रा है। इस मंत्र का प्रत्येक पद ही नहीं, बल्कि प्रत्येक अक्षर अपने आप में मंत्र है।’ उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र एक मार्ग है। ऐसा मार्ग जो इंसान को भीतर से शुद्ध करता है, जो इंसान को सौहार्द की राह दिखाता है। नवकार महामंत्र सही मायने में मानव, ध्यान, साधना और आत्मशुद्धि का मंत्र है। हम जानते हैं कि जीवन के 9 तत्व हैं। ये 9 तत्व जीवन को पूर्णता की ओर ले जाते हैं। इसलिए हमारी संस्कृति में नव का विशेष महत्व है।
‘जैन धर्म हमें बाहरी दुनिया नहीं, बल्कि खुद को जीतने की प्रेरणा देता है’
उन्होंने कहा कि नवकार महामंत्र कहता है कि स्वयं पर विश्वास करो, स्वयं की यात्रा शुरू करो, दुश्मन बाहर नहीं है, दुश्मन भीतर है। नकारात्मक सोच, अविश्वास, वैमनस्य, स्वार्थ ही वो शत्रु हैं, जिन्हें जीतना ही असली विजय है। यही कारण है कि जैन धर्म हमें बाहरी दुनिया नहीं, बल्कि खुद को जीतने की प्रेरणा देता है। पीएम मोदी ने कहा कि विकसित भारत अपनी संस्कृति पर करेगा। इसलिए हम अपने तीर्थंकरों की शिक्षाओं को सहेजते हैं। जब भगवान महावीर के 2550वें निर्वाण महोत्सव का समय आया तो हमने देश भर में उसे मनाया। आज जब प्राचीन मूर्तियां विदेश से वापस आती हैं, तो उसमें हमारे तीर्थंकर की प्रतिमाएं भी लौटती हैं। आपको जानकर गर्व होगा कि बीते वर्षों में 20 से ज्यादा तीर्थंकरों की मूर्तियां विदेश से वापस आई हैं।
कौन-कौन से 9 संकल्प?
अब पहला संकल्प पानी बचाने का संकल्प है।
फिर उन्होंने कहा दूसरा संकल्प है एक पेड़ मां के नाम।
तीसरा संकल्प है साफ सफाई का।
चौथा संकल्प है वोकल पर लोकल। उन्होंने कहा, जिस सामान में भारत की मिट्टी की महक है, हमें उसे खरीदना है और लोगों को भी प्रेरित करना है।
पांचवां संकल्प- देश दर्शन
छठां संकल्प-नेचरल फार्मिंग को अपनाना
सांतवां संकल्प-खेलती लाइफस्टाइल को अपनाना, खानपान में
आठवां संकल्प- अपनी जिंदगी में योगा और खेल को अपनाइए
नौंवा संकल्प -गरीबों की मदद करना


 
                                    
