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10 हजार से ज्यादा गौवंश वाली मप्र की सबसे बड़ी गौशाला में लगी आग

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मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी लाल टिपारा गौशाला में भीषण आग लगने की खबर सामने आ रही है। यहां 10,000 से ज्यादा गौवंश मौजूद हैं। आग बुझाने का काम तेजी से जारी है। बताया जा रहा है कि आग टपरे की वजह से लगी है। लेकिन पुख्ता जानकारी अभी सामने नहीं आई है।

हालांकि, राहत की बात है कि अभी तक इस घटना में गौवंशों के नुकसान की खबर सामने नहीं आई है। इस गौशाला का संचालन कुछ वर्ष पहले संतों को सौंपा गया था। तब से यह देश की सबसे आदर्श गौशाला बन गई है। यह गौशाला देश की पहली आधुनिक और आत्मनिर्भर गौशाला है।

आदर्श गौशाला लाल टिपारा ग्वालियर के संयोजक स्वामी ऋषभ देवानंद ने कहा कि ग्वालियर की लाल टिपारा गौशाला में भड़की आग पर काबू पा लिया गया है। इस गौशाला का संचालन नगर निगम द्वारा साधू संतों के माध्यम से किया जाता है।

तत्काल आग पर काबू पा लिए जाने से बड़ी घटना टल गई।क्योंकि गौशाला परिसर में न केवल 10 हजार से ज्यादा गौवंश मौजूद थे।

बल्कि यहीं पर गोबर से सीएनजी बनाने वाला बायो सीएनजी संयंत्र भी संचालित होता है। इसलिए पहला प्रयास यही था कि आग को आसपास बढ़ने से रोका जाए। आग की वजह शार्ट सर्किट मानी जा रही है।

नगर निगम अधिकारियों का कहना है कि ग्वालियर के लाल टिपारा गौशाला में स्थानीय नगर निगम के सहयोग से दस हजार गायों की देखभाल की जा रही है।

यहां गोबर से गैस बनाने वाला राज्य का अपने तरह का यह पहला संयंत्र स्थापित किया गया है। वैसे तो इंदौर में पहले से बायो सीएनजी प्लांट है, लेकिन वहां इसके लिए गीले कचरे का उपयोग किया जाता है।

जबकि, यहां सिर्फ गोबर का उपयोग होगा, वह भी सिर्फ गौवंश के गोबर का। अधिकारियों का कहना है कि इस समय बायो सीएनजी की मांग सामान्य सीएनजी से ज्यादा है। क्योंकि बायो सीएनजी में 95 फीसदी मीथेन होता है, जबकि सामान्य सीएनजी में 90 फीसदी होता है। यही वजह है कि बायो सीएनजी से मिलने वाले वाहनों का माइलेज ज्यादा निकलता है।

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