सिविल जज भर्ती 2022 में आरक्षित वर्ग के साथ अन्याय होने का आरोप लगाते हुए भर्ती के विरोध में दलित पिछड़ा समाज संगठन (DPSS) ने बुधवार को राजधानी में प्रदर्शन किया।
संगठन के कार्यकर्ताओं ने नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के शासकीय आवास का घेराव करने का प्रयास किया हालांकि पुलिस ने उनको रास्ते में ही रोक दिया।
प्रदर्शनकारियों का आरोप है विगत दिनों सिविल जज 2022 की परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया, जिसमें SC, ST और OBC वर्ग की पूरी तरह अनदेखी की गई है। कुल 191 पदों में से 121 पद ST वर्ग के थे, लेकिन एक भी अभ्यर्थी का चयन नहीं किया गया।
18 पद SC वर्ग के थे, जिनमें से केवल 1 अभ्यर्थी का चयन हुआ। OBC वर्ग के 9 पद थे, जिनमें से 5 अभ्यर्थियों का चयन किया गया, जबकि 43 अनारक्षित पदों में से 41 पद भर लिए गए। इस प्रकार आरक्षित वर्ग के कुल 148 पदों में से केवल 6 पद ही भरे गए, जिससे स्पष्ट होता है कि आरक्षण को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।
संगठन ने इसे सामाजिक न्याय और संवैधानिक मूल्यों पर सीधी चोट बताया। इस विरोध का नेतृत्व DPSS के राष्ट्रीय अध्यक्ष दामोदर सिंह यादव ने किया। उन्होंने मांग की कि सरकार भर्ती प्रक्रिया को तुरंत निरस्त कर पारदर्शी और न्यायसंगत पुनः परीक्षा आयोजित करे।
यादव ने चेतावनी देते हुए कहा जब तक आरक्षित वर्ग को न्याय नहीं मिलता, हमारा लोकतांत्रिक संघर्ष जारी रहेगा। आज हम सैकड़ों थे, आगे हजारों की संख्या में उतरकर यह लड़ाई लड़ेंगे। DPSS ने इसे सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव बताते हुए आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया।
संगठन की मुख्य मांगें
1) 2007 से पूर्व यही परीक्षा MPPSC द्वारा संचालित की जाती थी और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन भी होता था। अतः माननीय उच्च न्यायालय की चयन समिति से यह जिम्मेदारी वापस लेकर, अन्य राज्यों की तरह मध्यप्रदेश में भी पुनः MPPSC को सौंपी जाए।
2) माननीय उच्च न्यायालय की चयन समिति द्वारा लागू किए गए अव्यावहारिक नियमों को बदलते हुए MPPSC के पुराने अथवा व्यावहारिक नियम लागू कर परीक्षा पुनः कराई जाए।
3) सिविल जज 2022 के परिणामों पर रोक लगाते हुए परीक्षा निरस्त की जाए एवं पुनः केवल MPPSC से ही परीक्षा कराई जाए।
उपरोक्त सभी मांगों को लेकर आज सैकड़ों कार्यकर्ता आपको ज्ञापन सौंपते हुए यह आग्रह एवं अपेक्षा करते हैं कि आप इस मुद्दे को तत्काल प्रभाव से उचित मंच पर उठाएं और आरक्षित वर्ग के साथ हो रहे अन्याय को रोकें। अन्यथा, हमारा संगठन एक सप्ताह बाद हजारों कार्यकर्ताओं के साथ पुनः घेराव करने के लिए विवश होगा।



