पोहरी में विराजे इच्छापूर्ण गणेश,गणपति के इस मंदिर में मिलता है मनचाहा वर
शिवपुरी (Shivpuri) नगर से 35 किलोमीटर दूर पोहरी किले (Pohri Fort) में बना प्राचीन गणेश मंदिर लगभग 200 साल पुराना है। मंदिर का नाम इच्छापूर्ण गणेशजी है। बप्पा यहां अपने नाम के अनुरूप मंदिर में आने वाले हर भक्त की मुराद पूरी करते हैं। बप्पा को यहां श्रीजी के नाम से पुकारते हैं। सिंधिया राजवंश ने इस मंदिर का निर्माण 1737 में कराया था। उनकी बेटी बालाबाई सीतोले ने पूना महाराष्ट्र से गणेश प्रतिमा लाकर यहां प्रतिष्ठा कराई।बता दें कि इस मंदिर की मान्यता है कि मंदिर में जो भी भक्त नारियल रखकर मनोकामना मांगते हैं बप्पा उसे पूरा कर देते हैं। पोहरी गणेश मंदिर की विशेषता है कि यहां कुंवारी लड़की शादी के लिए नारियल रख देती है तो उनकी शादी जल्दी हो जाती है।
इसलिए कहते हैं श्रीजी और चढ़ाते हैं यह विशेष फल
श्रीजी के इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि जो भी भक्त यहां स्थापित बप्पा की मूर्ति को एक बार आंख भरकर देख लेते हैं। उनके मन में छिपी इच्छा बप्पा के सामने अपने आप ही जाहिर हो जाती हैं। यानि की बप्पा की मनमोहक छवि भक्त को अपने मन की बात कहने पर विवश कर देती है। तब बप्पा अपने भक्त की मुराद पूरी कर उनकी झोली भर देते हैं। मान्यता है कि कुंवारी कन्याएं यहां बप्पा को श्रीफल अर्पित करती हैं तो जिस भी वर की कामना उनके हृदय में हो वह पूरी हो जाती है।
लड़कियों की मुराद पूरी करते हैं ये गणेश…
क्षेत्रवासियों के अनुसार पोहरी दुर्ग पर यहां की जागीरदार बालाबाई शितोले ने में इस मंदिर का निर्माण कराया था। माना जाता है कि यहां जो कोई साफ दिल और श्रृद्धा से गणेश जी के सामने अपनी मनोकामना रखता है गणेशजी उसकी इ’छापूर्ति कर देते हैं , इस मंदिर में भक्त श्री गणेश को नारियल चढ़ाते हैं।आसपास रहने वाले लोगों के अनुसार यहां वर्षों से कुवांरी लड़कियां शादी के लिए नारियल समर्पित करतीं आ रही हैं, जिसके बाद जल्दी ही उन्हें मनचाहा वर मिल जाता है। मन्नत पूरी होने पर भक्त पुन: मंदिर आकर विशेष पूजा के बाद श्रद्धा के मुताबिक भेंट गणपति को चढ़ाते हैं। इ’छापूर्ण गणेश मंदिर में यह परंपरा पिछले 200 सालों से जारी है और अंचल से ही नहीं वरन कई अन्य प्रदेशों से भी भक्त यहां मन्नत मांगने आते हैं।
चांद निकलने पर होती है आरती
पुजारी बताते हैं गणेश चतुर्थी पर हर साल अभिषेक किया जाता है। चांद निकलने पर आरती होती है।
कलावा बांधकर नारियल रखते हैं
इस मंदिर की विशेषता है कि यहां आने वाले भक्त नारियल पर कलावा बांधकर रखने के पहले अपने मन की इच्छा गणेश जी के समक्ष मन ही मन कहते है और उनकी मनोकामना पूरी भी होती है। खासतौर पर मन चाहा वर पाने के लिए युवतियां भी ऐसा करती हैं। जब मनोकामना पूरी हो जाती है, तो श्रद्धालु प्रसाद अर्पित करने फिर से आते हैं और कन्याभोज भी कराते हैं।
बाला भाई साहिब लेकर आई थीं इस प्रतिमा को
बता दें कि पोहरी दुर्ग सिंधिया स्टेट के अंतर्गत आता था। उस समय की जागीरदारनी बालाबाई सीतोले हुआ करती थीं। उन्होंने ही 1737 में इस मंदिर का निर्माण कराया था। बता दें कि इस मंदिर में जो दिव्य प्रतिमा स्थापित है वह पुणे से स्वयं बाला भाई साहिब लेकर आई थीं। बता दें कि मंदिर में प्रतिमा इस तरह स्थापित की गई कि बालाबाई साहिब सितोले को अपनी खिड़की से बप्पा के दर्शन होते थे।