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एकजुट हो रहे क्षेत्रीय दल क्या रोक पाएंगे मोदी का विजय रथ? जानें किसमें है कितना दम

मोदी को हराने जो विपक्षी दल चल पड़े हैं, उनमें कौन कितने पानी है, आज हम इसका पूरा विश्लेषण आपके सामने रखेंगे।

मोदी को हराने जो विपक्षी दल चल पड़े हैं, उनमें कौन कितने पानी है, आज हम इसका पूरा विश्लेषण आपके सामने रखेंगे। दरअसल लोकसभा चुनाव में एक साल से भी कम वक्त बचा है, जिसके चलते राजनीतिक दलों ने अपने-अपने समीकरण साधने और सियासी गठजोड़ बनाने शुरू कर दिए हैं। इसी के मद्देनजर बीजेपी को 2024 के आम चुनाव में पटखनी देने विपक्ष एक हो रहा है। इस एकता के लिए 23 जून को बिहार के पटना में विपक्षी दलों के नेताओं की महाबैठक भी हुई, लेकिन सवाल यह है कि पीएम मोदी के विजयरथ को रोकने निकले विपक्षी दलों की फिलहाल सियासी ताकत क्या है और बीजेपी को हराने के लिए वो कैसे एकजुट हो पाएंगे?

मोदी के आगे विपक्षी दलों की ताकत

दरअसल बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की मुहिम का बीड़ा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उठा रखा है और उन्हीं की अगुवाई में पटना की बैठक में करीब 15 विपक्षी पार्टियों के मुखियाओं ने शिरकत की, बैठक में कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू, जेएमएम, सपा, शिवसेना, एनसीपी, नेशनल कॉफ्रेंस, पीडीपी, डीएमके, टीएमसी, सीपीआई, भाकपा माले, सीपीएम और आम आदमी पार्टी शामिल हुईं।इस तरह उत्तर से लेकर दक्षिण तक की राजनीतिक पार्टियां विपक्षी एकता के मिशन से जुड़ रही हैं। लेकिन सभी के अपने-अपने सियासी एजेंडे भी हैं, लेकिन ऐसे में सवाल यही उठता है कि इस समय जो मोदी मैजिक चल रहा है। उसके सामने ये 15 विपक्षीय दल अपनी ताकत दिखा पाएंगे? आखिर कांग्रेस समेत इन 15 विपक्षी दलों की अपने-अपने क्षेत्र में सियासी ताकत क्या है? आईए ये पूरा समीकरण समझते हैं

कहां कितनी सीटें

विपक्षी एकता में शामिल हो रहे राजनीतिक दलों की ताकत देखें तो यूपी से लेकर तमिलनाडु तक करीब 10 राज्यों तक है। विपक्षी खेमे में खड़ी सपा का आधार यूपी में है। जहां 80 लोकसभा सीटें आती हैं। एनसीपी, शिवसेना उद्धव गुट का आधार महाराष्ट्र में है। जहां 48 लोकसभा सीट हैं।ऐसे ही डीएमके के प्रभाव वाले तमिलनाडु में 42 सीट, टीएमसी के प्रभाव वाले पश्चिम बंगाल में 42, जेएमएम के गढ़ झारखंड में 14 और आम आदमी पार्टी के प्रभाव वाले दिल्ली में 7 व पंजाब में 13 लोकसभा सीटें आती हैं।.इसके अलावा लेफ्ट पार्टियों के असर वाले केरल में 20 संसदीय सीटें आती हैं।जबकि आरजेडी और जेडीयू के प्रभाव वाले बिहार में 40 लोकसभा सीटें हैं।नेशनल कॉफ्रेंस व पीडीपी के प्रभाव वाले जम्मू-कश्मीर में 5 सीटें आती हैं। इस तरह से 269 लोकसभा सीटें बनती हैं। हालांकि, केरल में कांग्रेस का सीधे लेफ्ट पार्टी से मुकाबला है।तो बाकी राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियां कांग्रेस से ज्यादा ताकत रखती हैं।इसका मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस का कोई असर नहीं है।केरल को छोड़ दें तो बाकी राज्यों की 38 सीटों पर कांग्रेस का सीधा मुकाबाला बीजेपी से रहा है।

कांग्रेस के असर वाली सीटें

अब ऐसे में कांग्रेस के सियासी असर वाली सीटों को जानना जरुरी हो जाता है।जी हां।कांग्रेस का बीजेपी से सीधा मुकाबाला जिन राज्यों में है। उनकी सीटों को देखें तो वो इस प्रकार है।गुजरात में 26, राजस्थान में 25, असम में 14, छत्तीसगढ़ में 11, कर्नाटक में 28, मध्य प्रदेश में 29, असम में 14, हरियाणा में 11, उत्तराखंड में 5, हिमाचल में 4, गोवा में दो, मणिपुर में 2, अरुणांचल में 2 सीटें आती हैं। इसके अलावा चंडीगढ़-लद्दाख-लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार में एक-एक सीटें आती हैं।इन पर कांग्रेस ही मुख्य मुकाबले में है।कांग्रेस का प्रभाव उन राज्यों में भी है। जहां क्षेत्रीय दल अपना गढ़ मानते हैं।

पिछले चुनाव में क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन

अब ये भी बात कर लेते हैं कि मोदी को हराने चले क्षेत्रीय दलों ने पिछले चुनाव में अपने-अपने क्षेत्र में क्या कारनाम किया था।दरअसल बीजेपी को सत्ता में आने से रोकने के लिए एकजुट हो रहे विपक्षी दलों की कितनी ताकत है?।अगर ये 2019 के चुनावी नतीजों के लिहाज से देखें तो क्षेत्रीय दलों के हिस्से में 97 सीटें आईं थी।सपा-बसपा-आरएलडी मिलकर यूपी में चुनाव लड़ी थी।जिसके बाद 15 सीटें ही हाथ लगी थी।वहीं, बिहार में जेडीयू 16 सीटें जीती थी,।लेकिन एनडीए में रहते हुए।वही महाराष्ट्र में एनसीपी पांच सीटें जीत सकी थी।जबकि शिवसेना उद्धव गुट को 18 सीटें मिली थी। जिनमें अब सात सांसद ही बचे है।डीएमके को तमिलनाडु में 24 सीटें मिली थी।जबकि लेफ्ट पार्टियों को देखें तो सीपीएम को 2 और सीपीआई तीन सीटें जीतने में सफल रही थी।जेएमएम 1 और नेशनल कॉफ्रेंस 3 सीटें जीतने में सफल रही थी।इस तरह से विपक्षी दलों के पास फिलहाल 86 सीटें ही बची हैं।अब कांग्रेस अकेले में कितनी ताकत है ये भी जान लेते हैं।जी हां।कांग्रेस 2019 के लोकसभा चुनाव में 421 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।कांग्रेस पिछले चुनाव में 52 सीटें जीतने में सफल रही थी। जिसमें सबसे ज्यादा सीटें उसे केरल से मिली थी।इसके अलावा बाकी राज्यों में कांग्रेस एक-दो सीटें ही जीत सकी थी।हालांकि, कांग्रेस करीब 200 सीटों पर नंबर दो पर रही थी।

क्या मोदी के विजय रथ को रोक पाएंगे क्षत्रप

अब बात पते की ये है कि आखिर बीजेपी से कैसे करेंगे मुकाबला।जी हां,कांग्रेस और विपक्षी दलों की सियासी ताकत को देखते हुए सवाल उठ रहे हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कैसे बीजेपी को तीसरी बार सत्ता में आने से रोक सकेंगे। इसके लिए विपक्ष इस फॉर्मूले पर आगे बढ़ रहा है कि बीजेपी के खिलाफ वन टू वन फाइट हो। जिसके लिए 475 सीटों पर विपक्ष संयुक्त रूप से एक कैंडिडेट उतारना चाहता है।हालांकि, इसके लिए अभी तक न ही कांग्रेस और न ही क्षेत्रीय दल तैयार हो रहे हैं।कांग्रेस की कोशिश है कि राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते कम से कम 300 सीटों पर वह चुनाव लड़े।जबकि क्षेत्रीय दल चाहते हैं कि कांग्रेस सवा दो सौ सीट पर ही चुनाव लड़े।ऐसे विपक्षी एकता में कई पेच हैं और उलझे हुए समीकरण हैं।जिसके चलते ही सवाल उठता है कि कैसे बीजेपी से मुकाबला करेंगे।खैर आपको हमारी ये स्टोरी कैसी लगी हमे कमेंट बॉक्स पर जरुर लिखें।.

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