
मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। मिशन-2023 का संग्राम अभी से ही कई मोर्चों पर लड़ा जा रहा है। कोई हार्ड हिंदुत्व पर चल रहा है, तो कोई सॉफ्ट हिंदुत्व पर, कांग्रेस हिंदू को हिंदुत्व से अलग बताती है, जबकि बीजेपी दोनों को एक ही मानती है। ऐसे में अब जैसे-जैसे 2023 के लिए सियासी तस्वीर साफ हो रही है, वैसे-वैसे तमाम दल हिंदुत्व को लेकर अपना-अपना एजेंडा सामने रख रहे हैं। हर दल अपने तरकश में अलग-अलग तीर लेकर मैदान में हैं। भाजपा विकास की तस्वीरों के साथ धार्मिक मुद्दों पर मुर्चेबंदी कर रही है। साथ ही अपने हार्ड दिंदुत्व को लगातार धार दे रही है। तो वही कांग्रेस भी सॉफ्ट हिदुत्व की राह पर चल पड़ी है। कांग्रेस मध्यप्रदेश में बीजेपी से मुकाबले के लिए हर वर्ग को तो साधने का काम कर ही रही है। साथ में भ्रष्टाचार, महंगाई जैसे मुद्दों पर भी लड़ाई लड़ने का पूरा प्लान है। इसके अलावा सॉफ्ट हिंदुत्व के रास्ते पर भी कांग्रेस चल पड़ी है। हाल ही पार्टी ने पांच ऐसे बड़े कदम उठाए हैं, जो सीधे धर्म-कर्म से जुड़े हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि एमपी में हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस क्यों बीजेपी की राह पर है? आइए, आपको बताते हैं कि हिंदुत्व के मुद्दे पर कांग्रेस में चल क्या रहा है?
कांग्रेस की पुजारियों पर नजर
मठ मंदिर की भूमि नीलाम न हो, पुजारी का वंश परंपरा से नामांतरण हो, कलेक्टर व्यवस्थापक न हो और पुजारी को सामान्य कृषक के अधिकार मिले। ये वो मांगें हैं, जिसे कांग्रेस जोरशोर से उठा रही है। इसके मार्फत कांग्रेस का मकसद चुनाव के दौरान पुजारियों को लामबंद करना है। नवंबर 2022 में कांग्रेस ने मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ बनाया। शिवनारायण शर्मा को इसका अध्यक्ष बनाया। जानकारों का कहना है कि इस प्रकोष्ठ के जरिए पार्टी ब्राह्मण वोटों को साधना चाहती है। मंदिर की जमीन पर अपना मालिकाना हक जताने के लिए आंदोलन शुरू करना है। पूर्व सीएम कमलनाथ के इस संकल्प को पूरे मध्यप्रदेश में यात्रा के माध्यम से प्रचारित किया जाएगा।
राम वन गमन पथ
मध्यप्रदेश में कांग्रेस धर्म के मुद्दे पर अपनी पैठ बनाने की कोशिश पिछले चुनाव से ही कर रही है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राम वन गमन पथ को अपने वचन पत्र में शामिल किया था। इसमें उन धार्मिक स्थानों को आध्यात्मिक रूप से विकसित करने की योजना है, जिन पर वन गमन के समय भगवान राम के चरण पड़े थे। सरकार बनने पर 2019 में कमलनाथ सरकार ने ‘श्रीराम वन गमन पथ’ कॉरिडोर निर्माण का फैसला लिया था। इसके तहत श्राइन बोर्ड कॉम्प्लेक्स, धर्मशालाएं व यात्रियों के लिए पैदल ट्रैक शामिल था। कमलनाथ सरकार ने कार्ययोजना बनाकर 22 करोड़ रुपए का बजट भी अध्यात्म विभाग को दिया, लेकिन 15 महीने बाद ही सरकार चली गई।
निकलेगी धर्म रक्षा यात्राएं
कांग्रेस विधानसभा चुनावों तक मध्यप्रदेश के अलग-अलग शहरों में धर्म रक्षा यात्राएं निकालेंगी। इसकी शुरुआत इंदौर से हो चुकी है। मध्यप्रदेश कांग्रेस मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ द्वारा धर्म रक्षा अभियान में किए जा रहे कार्यों के तहत धर्म रक्षा यात्राएं निकाली जा रही हैं।
धार्मिक यात्राएं
पिछले 6 महीने में प्रदेश के हर जिले में कांग्रेसी कथाएं सहित अन्य धार्मिक आयोजन करा रहे हैं। इंदौर में कांग्रेस विधायक अपने क्षेत्र के लोगों को हरिद्वार और अयोध्या की धार्मिक यात्रा करा रहे हैं। इसी तरह भोपाल में कांग्रेस नेता मनोज शुक्ला महिलाओं को अलग-अलग जत्थों में मथुरा-वृंदावन की यात्रा करा रहे हैं।
धर्म संवाद कार्यक्रम
करीब दो महीने पहले भोपाल में प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) के दफ्तर में धर्म संवाद का कार्यक्रम का श्रीगणेश हुआ था। इसमें प्रदेशभर के मठ, मंदिरों के पुजारी और धर्माचार्य शामिल हुए थे। कार्यक्रम के लिए कांग्रेस कार्यालय को भगवा रंग के झंडों से सजाया गया। धर्म संवाद में धर्माचार्यों ने अपनी बातें रखी थीं। इस कार्यक्रम के तहत कांग्रेस धर्माचार्यों और भाजपा के पारंपरिक हिंदू वोट में सेंधमारी की कोशिश में है।
जनता का रुख
कुछ दिन पहले ही जबलपुर से चुनावी शंखनाद करने आईं कांग्रेस महासचिव प्रयंका गांधी ने भी यही संकेत दिये थे कि एमपी में चुनाव इस बार हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। क्योंकि प्रियंका ने जबलपुर में विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत नर्मदा मैया की पूजन के साथ की है।अब ऐसे में सवाल ये उठता है कि हिंदू वोट किस तरफ रुख करेगा। भाजपा पहले ही हार्ड हिंदुत्व की राह पर चल रही है। वही अब कांग्रेस भी पूरी तरह साफ्ट हिंदुत्व की राह पर है। ऐसे में ये कहना मुश्किल होगा कि इस बार हिंदू वोट किसकी झोली भरने वाले हैं।