पटना। बिहार में इसी विधानसभा चुनाव होना है। जिसको लेकर सियासी सरगर्मी अभी तेज हो गई। सभी दल अपनी-अपनी जीत तय करने एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। इस बीच, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार ने जनता से जेडीयू को विधानसभा चुनाव में जिताने की अपील की। ऐसा पहली बार देखने को मिला है, जब निशांत ने नीतीश कुमार के लिए वोट मांगे हैं। उन्होंने पिता नीतीश के एक बार फिर बिहार का सीएम बनाने की अपील भी की। उनकी यह अपील चुनावों से पहले एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संकेत मानी जा रही है। सियासी गलियारों में चर्चा भी तेज हो गई की निशांत कुमार राजनीति में एंट्री करेंगे।
दरअसल, पटना जिले के बख्तियारपुर में स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमा पर माल्यार्पण के दौरान निशांत ने अपने दादा के योगदान का जिक्र करते हुए कहा, मेरे दादा स्वतंत्रता सेनानी थे। वह आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे। इसी वजह से मुख्यमंत्री ने उन्हें राजकीय सम्मान दिया है। दादाजी समेत चार और सेनानियों की मूर्ति लगाई गई हैं। मैं यहां माल्यार्पण करने आया था। बता दें कि बता दें कि बिहार में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं और जेडीयू के अध्यक्ष हैं। नीतीश ने 2024 में 9वीं बार सीएम पद की शपथ ली थी। इस बार जेडीयू के नेतृत्व में एनडीए चुनाव लड़ने जा रहा है। बिहार में 20 साल से नीतीश सत्ता में हैं। निशांत अब तक राजनीति से दूरी बनाए देखे गए हैं। लेकिन, पहली बार उनके बयान से बिहार की सियासत में चचार्एं तेज हो गई हैं।
फिर सरकार में लाएं’
निशांत ने कहा, इस साल पहली बार मीडिया से रूबरू हुआ है। बिहारवासियों और देशवासियों को नए साल की शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा, नए साल में चुनाव है तो हो सके तो पिता जी और उनकी पार्टी को जनता वोट करे और फिर से सरकार में लाए। अच्छा काम करेंगे। हालांकि जब मीडिया ने उनसे राजनीति में आने को लेकर सवाल किया तो निशांत कुछ बोले बिना आगे बढ़ गए।
बता दें कि बिहार में 2025 में चुनाव होने हैं। एनडीए का मुकाबला विपक्षी महागठबंधन से है। एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, जीतनराम मांझी की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा, चिराग पासवान की एलजेपी (आर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी हिस्सेदार है। जबकि महागठबंधन में लालू प्रसाद यादव की आरजेडी, कांग्रेस और वाम गठबंधन हैं। निशांत अब तक राजनीति से दूर रहे हैं, लेकिन उनके ताजा बयान से अटकलें तेज हो गई हैं कि वह सक्रिय राजनीति में प्रवेश कर सकते हैं। हालांकि, नीतीश ने हमेशा वंशवाद की राजनीति से खुद को अलग रखा है। अगर निशांत राजनीति में आते हैं, तो बिहार में सत्ता संतुलन पर इसका असर पड़ सकता है। बिहार में आगामी चुनाव से पहले राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं।