मिशन-2023: क्या कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगा पाएगी भाजपा, जानें कैसे 36 के फेर में उलझी बीजेपी?
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरु हो चुकी है। भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में नारा दिया था अब की बार 200 पार, लेकिन वो 109 सीटों पर सिमट कर रह गई थी।जबकि कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल कर सपा-बसपा और निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली थी।
बृजेश रघुवंशी
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की उलटी गिनती शुरु हो चुकी है। भाजपा ने 2018 के विधानसभा चुनाव में नारा दिया था अब की बार 200 पार, लेकिन वो 109 सीटों पर सिमट कर रह गई थी।जबकि कांग्रेस ने 114 सीटें हासिल कर सपा-बसपा और निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर अपनी सरकार बना ली थी।हालाकि सिंधिया की बगावत के बाद कांग्रेस की सरकार गिर गई थी। और भाजपा ने लगे हाथ सरकार बना ली थी।लेकिन इस बार फिर भाजपा अब की बार 200 पार का नारा दे रही है। भाजपा का मानना है कि मध्य प्रदेश में भी भारतीय जनता पार्टी के पक्ष में गुजरात जैसी आंधी चलेगी। और 2023 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश में जीत का इतिहास बनेगा। अब भाजपा अब की बार 200 पार के इस नारे को सफल बनाने के लिए अभी से रणनीति पर काम करने लगी है। भाजपा की नजर उन सीटों पर है। जहां 2018 के विधानसभा चुनाव और 2020 के उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। साथ ही भाजपा उन सीटों पर भी खास पोकस बनाए हुए है। जो कांग्रेस का हमेशा से गढ़ रही हैं। या यूं कहे कि भाजपा आज तक इन सीटों को जीत नहीं सकी है।
36 सीटें कांग्रेस का गढ़
230 विधानसभा सीटों वाले मध्यप्रदेश में जो भी दल 116 के जादुई आंकड़े को छू लेता है प्रदेश में उसकी सरकार बन जाती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा इस जादुई आंकड़े से 7 सीटें दूर रह गई थी। जिससे सबक लेते हुए भाजपा इस बार फूंक-फूंक कर आगे कदम बढ़ा रही है।बीजेपी की नजर उन सीटों पर है, जहां वो आज तक नहीं जीत पायी। ऐसी कुल 36 सीटें हैं, जिन पर बीजेपी ने कभी जीत दर्ज नहीं की। इन सीटों के लिए बीजेपी अब गुजरात और यूपी फार्मूले के जरिए जीत दर्ज करने की योजना बना रही है। हालाकि भाजपा ने 103 ऐसी विधानसभा सीटें चिन्हित की हैं, जिन पर उसे 2018 और 2020 के उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। ऐसी सीटों पर जीतने के लिए बीजेपी स्पेशल रणनीति तैयार कर रही है। वहीं 103 में से लगभग 36 सीटें ऐसी हैं जिन पर बीजेपी या तो कभी जीती नहीं या बहुत लंबे समय से उसके कब्जे में नहीं हैं। ऐसी सीटों में डॉ. गोविंद सिंह नेता प्रतिपक्ष का विधानसभा क्षेत्र लहार, गुना जिले का राघोगढ़ जहां से दिग्गविजय के बेटे जयवर्धन सिंह विधायक हैं। खरगोन जिले की कसरावद सीट जहां पर सचिन यादव विधायक हैं। इसके साथ ही भोपाल उत्तर सीट जहां से आरिफ अकील जीत कर आते हैं। कांग्रेस के गढ़ बन चुके इन इलाकों में राजपुर की सीट भी शामिल है।
एमपी मेंं चलेगा यूपी का फॉर्मूला?
ऐसी प्रदेश में 36 सीटें हैं जिन पर भाजपा या तो लंबे समय से जीत नहीं पाई है, या फिर कभी जीती ही नहीं है। ऐसी सीटों को जीतने के लिए बीजेपी अब गुजरात फार्मूला यानी हर बूथ पर 51 फीसदी वोट शेयर प्राप्त करने और उत्तर प्रदेश के फार्मूले और योजनाओं के जरिए जनता से कनेक्ट होने पर काम कर रही है। जिससे इन सीटों पर बीजेपी को जीत मिल सके। हालांकि भले ही 2003, 2008 और 2013 में बीजेपी जीत दर्ज कर सत्ता पर काबिज हुई हो, लेकिन इन इलाकों में बीजेपी कांग्रेस को हरा नहीं पाई है। अब देखना होगा कि भाजपा जिस फॉर्मूले के तहत कांग्रेस के गढ़ में सेंध लगाने की कवायद कर रही है। वो फॉर्मूला कितना सफल होता है।