युवाओं में क्यों बढ़ रहा है हार्ट अटैक का खतरा? क्या है इसके पीछे वजह
एक समय था जब दिल का दौरा या दिल से जुड़ी बीमारियों को उम्र के साथ जोड़कर देखा जाता था. सामान्यतः हार्ट अटैक या हार्ट से जुड़ी अन्य बीमारियां एक उम्र के बाद ही आती थी। लेकिन वर्तमान समय में तनाव और वर्क प्रेशर के कारण युवा भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं। इसके अलावा फास्ट फूड का अधिक सेवन, हाई ब्लड प्रेशर, खून में कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, मोटापा और डायबिटीज की बीमारी के कारण भी लोगों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा भारत के लोगों में अनुवांशिकता के कारण भी हार्ट अटैक की समस्या होती है। विशेषज्ञों का कहना है की हार्ट फेल अक्सर रात में ही होता है। व्यक्ति मध्यरात्रि के बाद अचानक, सांस लेने में तकलीफ़ के कारण उठ जाता है और ताज़ा हवा की तलाश में खिड़की आदि खोलकर सांस लेने की कोशिश करता है। अगर आप जीवनभर हार्ट अटैक, हाई बीपी, हार्ट क्लोटिंग, स्ट्रोक और सांस संबंधी बीमारियों से बचे रहना चाहते हैं तो दिल से जुड़ी कुछ जरूरी बातों को जरूर जान लें।
हार्ट अटैक के लक्षण
अगर आपको सीने के आसपास या फिर बीच में बेचैनी महसूस हो रही है तो यह दिल का दौरा पड़ने के लक्षण हो सकते हैं। इसके अलावा भारीपन, सिकुड़न और दर्द महसूस होना, शरीर के ऊपरी हिस्से जैसे बांहों, गले, पेट और पीठ में दर्द भी हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। अगर आपको सांस ठीक से नहीं आ रहा है, या फिर अचानक अधिक पसीना, जी मिचलाना, तेज सिरदर्द के साथ उल्टी जैसी समस्याएं होना भी हार्ट अटैक के संकेत हो सकते हैं।
हार्ट अटैक के क्या है कारण
विशेषज्ञों की मानें तो यंग लोगों में हार्ट अटैक का मुख्य कारण उनकी लाइफस्टाइल है। इसमें भी स्मोकिंग, एल्कोहल और स्ट्रेस का मेजर रोल है। अपनी जीवनशैली के प्रति लापरवाह नजरिया कई बार युवाओं को महंगा पड़ जाता है। कम उम्र में दिल की बीमारियों के प्रति अधिकतर नई जेनरेशन सजग नहीं होती। कई बार छोटे-मोटे लक्षण दिखते भी हैं तो उन कारणों की तह तक जाने के बजाय युवा उसे इग्नोर कर देते हैं।
हार्ट अटैक की अगली बड़ी वजह फिजिकल एक्टिविटी या मूवमेंट का न होना है। कई बार लोगों का जॉब ऐसा होता है कि वे लंबे समय तक एक जगह पर बैठे रहते हैं तो कई बार काम या दूसरी वजहों से उन्हें एक्सरसाइज का समय नहीं मिलता। इसे बदलना होगा। कुछ भी खा लेने के आदत से भी बचना होगा, जिसमें मुख्य तौर पर बाहर का खाना शामिल होता है। इससे कोलेस्ट्रोल बढ़ता है जो दिल की सेहत खराब करता है।
क्या है उपाय
अगर आपको हाई बीपी, डायबिटीज या हाय कोलेसस्ट्रोल डायग्नोस होता है तो इसे गंभीरता से लें। रेग्यूलर चेकअप्स कराएं और दवाइयां लें। स्मोकिंग कतई न करें और एल्कोहल इनटेक को सीमा के अंदर रखें। प्रॉसेस्ड फूड या डिब्बाबंद खाना जहां तक हो सके न खाएं। इसके साथ ही किसी भी रूप में एक्सरसाइज को अपनी डेली रूटीन का हिस्सा बना लें। कार्डियो एक्सरसाइजेस दिल की सेहत के लिए बहुत अच्छी होती हैं। हरी सब्जियां और फल प्रचुर मात्रा में लें और मेंटल स्ट्रेस को जितना हो सके कम करें। कोल्डड्रिंक और शुगर नियंत्रित मात्रा में लें। अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय गुजारें। जितना आप खुश रहेंगे उतना ही आपका दिल भी मुस्कुराएगा।
एक्सपर्ट्स तनाव को मानते हैं बड़ा कारण
युवाओं में बढ़ते हुए हार्ट डिजीज के केसेज को देखते हुए हार्ट स्पेशलिस्ट का मानना है कि इसकी सबसे बड़ी वजह समाज में बढ़ रहा तनाव है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पिछले कुछ साल में समाज में और दिल के मरीजों की संख्या में जिस तरह बदलाव आया है, वह बढ़ते तनाव को दर्शाता है। कल की चिंता में युवा इस हद तक परेशान हैं कि अपने आज को जीना भूल गए हैं। सांसारिक वस्तुओं को एकत्र करने की इच्छा में वे अपनी सेहत को अनदेखा कर रहे हैं और उनके सोने-जागने का समय निश्चित नहीं है। यह एक बड़ी वजह है जो तनाव को बढ़ाती है। फिर तनाव ही हार्ट फेल्यॉर के ज्यादातर केसेज का कारण बनता है।