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कलकत्ता हाईकोर्ट ने आखिर सीएम ममता पर क्यों लगाया पांच लाख का जुर्माना? पढ़े पूरी डीटेल

ताजा खबर: कोलकाता। पश्चिम बंगाल (West Bengal) की सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) पर कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने बुधवार को पांच लाख का जुर्माना लगाया है। सीएम ममता ने नंदीग्राम विधानसभा चुनाव (Nandigram assembly election) के नतीजे को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका (petition) दाखिल की थी।

कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश कौशिक चंदा (Kaushik Chanda) ने खुद को अलग कर लिया है और इसके साथ ही न्याय व्यवस्था को कलुषित करने का आरोप लगाते हुए सीएम ममता बनर्जी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

दरअसल, पिछली सुनवाई में सीएम के वकील अभिषेक मनु सिंहवी (Abhishek Manu Singhvi) ने दलीलें पेश की थी जिसमें तर्क दिया कि सुनवाई में पक्षपात हो सकता है, क्योंकि उनके (जस्टिस चंदा) के भाजपा (bjp) नेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध है। इस पूर्वाग्रह को लेकर याचिकाकर्ता के मन में शंका होगी।

न्यायाधीश ने कहा कि उनके बारे में कहा गया है कि उनका एक राजनीतिक दल (political party) से संबंध है। इस देश में किसी के लिए भी राजनीतिक विकल्प न होना लगभग असंभव है। न्याय उसका विकल्प भी नहीं हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति किसी पार्टी का है, तो ऐसा नहीं है कि वह उस पार्टी पर मुकदमा नहीं करेगा। मुझे नहीं लगता कि इसका कोई कारण हो सकता है। कोई इसका दावा करता है कि तक जज पक्षपातपूर्ण हो सकता है।

उन्होंने कहा सिंघवी खुद 2017 में राज्यसभा सदस्य हैं। वह खुद भाजपा के कार्यक्रम में गए थे। उन्होंने उन्हें ट्वीट (tweet) किया था। उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था को कलुषित करने के लिए ममता बनर्जी को पांच लाख रुपये देने होंगे। यह राशि वकीलों के कोविड फंड (covid fund) में जाएगा।

ममता  ने जस्टिस चंदा के बेंच से मामला हटाने की मांग की थी
बता दें कि ममता बनर्जी पक्ष ने याचिका दाखिल कर मामले में जस्टिस चंदा को हटाने की मांग की थी। इसी याचिका के संबंध में जस्टिस कौशिक चंदा की सिंगल बेंच अपना फैसला सुनाया।

मालूम हो कि ममता बनर्जी ने नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से सुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) की जीत को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इससे पहले सीएम ममता बनर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजेश बिंदल (Rajesh Bindal) को एक पत्र लिखा था, जिसमें उनसे अपने खिलाफ पूर्वाग्रह से बचने के लिए चुनाव याचिका किसी अन्य जस्टिस (जस्टिस कौसिक चंदा के अलावा) को सौंपने का आग्रह किया था।

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