विशेषज्ञ बोले- व्हाइट फंगस साधारण बीमारी, 3-4 दिन में आसानी से हो जाती है ठीक
मुंबई। देश के कई राज्य कोरोना (Corona) की तबाही के बाद ब्लैक फंगस (Black fungus) से जूझ ही रहे थे कि अब नई समस्या व्हाइट फंगस (White fungus) की हो गई है। इस बीमारी को लेकर कहा जा रहा है कि ब्लैक फंगस से भी ज्यादा खतरनाक है व्हाइट फंगस। वहीं इस बीच संक्रामक रोग विशेषज्ञ (Infectious disease specialist) डॉ. ईश्वर गिलाडा ने राहत देते हुए कहा है कि कि यह कोई बहुत बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन इसे बड़ा बना दिया गया है। देश को ऐसे कोई गलतफहमी का शिकार न बनाएं।
आर्गनाईज मेडिसिन अकेडमी गिल्ड (Arganese Medicine Academy Guild) के महासचिव डॉ. ईश्वर गिलाडा ने कहा, व्हाइट फंगस बेहद साधारण फंगस है, जिसे हम लोग बरसों से देख रहे हैं। यह कैडिडा बीकॉन्स (Cadida Beacons) नाम के फंगस से होता है। उसे कैंडेडियासिस कहते हैं। औरतों में ल्यूकोरिया (Leucorrhea) नाम की जो बीमारी होती है, उसमें श्वेत प्रदर होता है। उसमें आधे श्वेत प्रदर कैंडिडिया से होते हैं और 3-4 दिन में ठीक हो जाता है।
उसी ढंग से एचआईवी के मरीज होते हैं। व्हाइट फंगस की समस्या उन्हें आती है, जो इमिनो कंप्रोमाईज (Imino Compromises) , अस्थमा (Asthma) के मरीज हैं और स्टेरायड लेते हैं। जिसका शुगर ज्यादा हो जाता है, उसमें कैंडिडा इन्फेक्शन होता है। कैंडिडा के धब्बे जीभ के ऊपर और तालुओं पर सफेद रंग के होते हैं, इसलिए उसका नाम व्हाइट फंगस दे दिया गया।
फंगस को नाम से पहचानें, रंग से नहीं
किसी फंगस को उसके नाम से पहचाना जाना चाहिए रंग से नही, क्योंकि ऐसे कई रंग के फंगस होते हैं। डॉ. गिलाडा ने कहा, जैसे एस्परजिलोसिस ग्रे और ब्लैक रंग का है। ब्लास्टोमाइकोसिस (Blastomycosis) भूरे रंग का है। हिस्टोप्लाज्मोसिस (Histoplasmosis) आॅरेंज कलर का है। ठीक से जांच होने के बाद इसका इलाज भी आसान है। ऐसे कई एंटी फंगल ड्रग्स हैं, जिससे तीन से छह दिन में इलाज हो जाता है।
मधुमेह अनियंत्रित और इम्यूनिटी कमजोर होने पर रखे ध्यान
डॉ. गिलाडा ने कहा, आपको मधुमेह (Sugar) नियंत्रित रखना है और जब इम्यूनिटी कमजोर होती है तो इसका ध्यान रखना है कि कहीं फंगस तो नहीं हुआ है। जब शरीर में शुगर बढ़ जाता है और स्टेरॉयड की वजह से इम्यूनिटी कम होती है तो फंगस आ जाता है। यह एक अवसरवादी बीमारी है।