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विपक्ष ने किया विरोध तो नए संसद भवन की पड़ोसी देश चीन ने कर दी तारीफ

देश में नए संसद भवन के उद्घाटन का विरोध तमाम विपक्षी दलों ने किया। यहां तक कि उद्घाटन समारोह में जाने का बहिष्कार तक कर दिया। भले ही विपक्षी दलों ने नए संसद भवन का विरोध किया हो। लेकिन भारत के नये संसद भवन की गरिमामई चमक ने दुनिया के कई मुल्कों को चकाचौंध कर दिया है।

देश में नए संसद भवन के उद्घाटन का विरोध तमाम विपक्षी दलों ने किया। यहां तक कि उद्घाटन समारोह में जाने का बहिष्कार तक कर दिया। भले ही विपक्षी दलों ने नए संसद भवन का विरोध किया हो। लेकिन भारत के नये संसद भवन की गरिमामई चमक ने दुनिया के कई मुल्कों को चकाचौंध कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस शान से नई संसद बिल्डिंग का उद्घाटन किया और सेंगोल की स्थापना की, उसका प्रभाव दुनिया के दूसरे देशों में भी देखा जा रहा है। इसी बीच हमेशा भारत से जलने वाले हमारे पड़ोसी देश चीन ने भी भारत के नए संसद भवन की तारीफ कर दी है। यह तारीफ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र कहलाने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स ने की है। चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स  ने अपने संपादकीय में भारत के नये संसद भवन को महान प्रतीक के तौर बताया है। संपदकीय में लिखा गया है-नया भवन भारतीय राजधानी को औपनिवेशिक युग के निशान से मुक्त करता है, इसलिए यह महानता का प्रतीक है। साथ ही भारत को अमेरिका समेत सभी यूरोपीय देशों से सतर्क रहने की चेतावनी भी दी गई है।

गुलामी की निशानियों से मुक्त करना उद्देश्य

अखबार लिखता है, ‘भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को देश के नए संसद भवन का उद्घाटन किया। ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान लगभग एक शताब्दी पहले बनी पुरानी संसद को संग्रहालय में बदला जाएगा। नए संसद भवन को मोदी सरकार की सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का मुख्य हिस्सा माना जाता है। इसका उद्देश्य भारत की राजधानी को गुलामी की निशानियों से मुक्त करना है।

नई सांसद आत्मनिर्भर भारत का उद्य

चीनी अखबार ने पीएम मोदी के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि नई संसद महज एक इमारत नहीं है और यह आत्मनिर्भर भारत के उदय की गवाह बनेगी। करीब 12 करोड़ डॉलर की इस इमारत में मोदी सरकार ने मोर, कमल का फूल और बरगद के पेड़ शामिल किए हैं, जो भारतीय इतिहास व संस्कृति की विशिष्ट विशेषताओं का प्रतीक हैं। नया संसद भवन डिकॉलोनाइजेशन के खिलाफ एक महान प्रतीक बनेगी।

इन देशों से सतर्क रहने की दी सलाह

ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में आगे लिखा गया है कि चीन भारत के विकास लक्ष्य हासिल करने की कामना करता है। साथ ही पश्चिम के उस नव-उपनिवेशवाद से सतर्क रहने की सलाह एक दोस्त के तौर पर देता है, जो पश्चिम भू-राजनीतिक जोड़तोड़ और उकसावे के जरिये तैयार कर रहा है। अमेरिका ने बड़े पैमाने पर फूट डालो और राज करो की रणनीति से प्रभुत्व बनाया है और अब भी छिपे हुए तरीके से इसी रणनीति पर कायम है।

पश्चिम की भू-राजनीतिक जाल में न फंसे भारत

ग्लोबल टाइम्स लिखता है, ‘चीन और भारत के बीच दरार पैदा करने के लिए पश्चिम ने बार-बार भारत की चापलूसी की है। पश्चिम भारत को चीन की जगह लेने के लिए उकसाता है। वो चीन और भारत के बीच सीमा विवाद में भारत का पक्ष लेता है और यहां तक कि भारत को चीन के खिलाफ खड़े होने के लिए उकसाता है और कहता है कि हम भारत के साथ खड़े हैं। यह समझना चाहिए कि भारत के लिए पश्चिम की यह एक जाल है। भारत को पश्चिम की भू-राजनीतिक जाल में नहीं पड़ना चाहिए।

चीन ने क्यों की तारीफ?

इसकी कई वजहें हैं। हाल के सालों में भारतीय कूटनीति के आगे चीन की एक चाल सफल नहीं हो पा रही है। मोदी सरकार ने दुनिया में एक उभरते हुए भारत की छवि पेश करने में कामयाबी पाई है। दुनिया के कई मुल्कों में भारत को शक्तिशाली देश के तौर पर देखा जा रहा है। जापान से लेकर अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया आदि मुल्कों से भारत के संबंध पहले से कहीं ज्यादा बेहतर हुए हैं।

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